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शुरू में, खुली जाननें की शक्ति के परिचय से
हम अपने वास्तविकता के नजरिये को बदलते हैं,
हम बहतर वास्तविकता में प्रवेश करतें हैं.
क्योंकि हम परिश्रम किये जा रहे थे बिना जाने ही सभीकुछ को मूर्त रूप दे रहे थे,
पहले तो, शायद थोड़े से परिश्रम की जरुरत है, छोटे-छोटे पलों का परिश्रम.
अब, छोटे-छोटे पलों का परिश्रम एक महान परिश्रम है. यह एक महान परिश्रम है.
और छोटे-छोटे पलों पर निर्भरता से,खुली जाननें की शक्ति प्रकिर्तिक रूप से स्पष्ट हो जाती है लम्बे पलों में.
इस साधारणता में है खुलासा
उन सभी विचारों का जो उठतें हैं.
तो, पहले विचार ज्यादा प्रबल होते हैं,
लकिन फिर खुली जानने की शक्ति से,
हम देख सकते हैं बहुत शुरू से ही कि विचारों का खुलना शुरू हो गया है.
खुलासे का क्या मतलब है ?
इसका मतलब है विचारों का अपनी परम वास्तविकता में खुलना.
विचारों को वैसे का वैसे ही रहने देना है,
और ज्यूं का त्यूं रहने देने की अनुमति से, वो प्रकिर्तिक रूप से खुलते हैं अपनी परम वास्तविकता में.
जैसे जैसे हमारी उन्नति खुली जानने की शक्ति के प्रत्यक्ष अनुभव में होती है,
हमारे विचारों की पकड़ कम से कम होती है, जबतक कि उनका पूरी तरह से खुलासा न हो जाए.
छोटे पलों में, बहुत बार, खुली जाननें की शक्ति
सभी समय में स्पष्ट हो जाती है.
हम इस पर भरोसा कर सकते हैं असफलता रहित. हम इसको अपने आप में देख सकते हैं,
हम इसको उन सभी में देख सकते हैं जिस समुदाय के साथ हम हैं,
बैलेंसड़ व्यू के चार मुख्य आधारों द्वारा.�