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रोम तथा सम्पूर्ण विश्व के अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ईस्टर मुबारक, ईस्टर मुबारक!
ख्रीस्त जी उठे हैं! इस सन्देश की उदघोषणा करना मेरे लिये कितना आनन्ददायक है!
मेरी मंगलकामना है कि यह सन्देश हर घर एवं हर परिवार तक पहुँचे, विशेष रूप से, जहाँ उत्पीड़न अपार है, अस्पतालों में, बन्दीगृहों में......
सबसे पहले, मैं चाहता हूँ कि यह प्रत्येक हृदय तक पहुँचे, इसलिये कि वहीं ईश्वर इस शुभसमाचार के बीज बोना चाहते हैं:
येसु जी उठे हैं, यह आप के लिये आशा है, अब आप पाप एवं बुराई की शक्ति के अधीन नहीं रहे!
प्रेम को अपूर्व सफलता मिली है, करूणा विजयी हुई है। ईश्वर की दया सदैव विजयी होती है।
हम भी, उन महिलाओं की तरह जो येसु की शिष्याएँ थीं, जो कब्र पर गई थीं तथा जिन्होंने कब्र को खाली पाया था, प्रश्न कर सकते हैं कि इस घटना का मतलब क्या है (दे. लूक 24:4)।
येसु जी उठे हैं, इसका क्या मतलब है?
इसका अर्थ है कि ईश्वर का प्रेम बुराई एवं स्वयं मृत्यु से भी अधिक शक्तिशाली है;
इसका अर्थ है ईश्वर का प्रेम हमारे जीवन को रूपान्तरित कर सकता तथा हमारे हृदयों के मरूस्थलों को फलने-फूलने दे सकता है।
ऐसा ईश्वर का प्रेम कर सकता है।
वही प्रेम जिसके लिये ईश्वर के पुत्र मानव बने
तथा विनम्रता एवं आत्मसमर्पण के रास्ते पर अन्त तक गये,
नीचे पाताल तक, ईश्वर से पृथक होने के रसातल तक,
इसी करूणामय प्रेम ने येसु के मृत शरीर को ज्योतिर्मान कर रूपान्तरित कर दिया, उसे अनन्त जीवन में पारित होने दिया।
येसु अपने पूर्व जीवन में, सांसारिक जीवन में, वापस नहीं लौटे अपितु ईश्वर के महिमामय जीवन में प्रवेश कर गये। वहाँ वे हमारी मानवता के साथ प्रविष्ट हुए तथा ऐसा कर उन्होंने हमारे लिये आशा के भविष्य का द्वार खोल दिया।
यही है पास्का का अर्थः
यह निर्गमन है, पाप एवं बुराई की दासता से प्रेम एवं भलाई की स्वतंत्रता तक मानव प्राणियों का पार होना।
इसलिये कि ईश्वर जीवन हैं, केवल जीवन, और उनकी महिमा है जीवित मानव (दे, ईरेनियुस, आदवेरसेस हेरेसस 4,20,5-7)।
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ख्रीस्त हमेशा के लिये मरे और जी उठे, वे सबके लिये जी उठे,
हालांकि, पुनरुत्थान की शक्ति अर्थात् बुराई की गुलामी से, भलाई की स्वतंत्रता तक, पार होना, प्रत्येग युग में हासिल किया जाना आवश्यक है, हमारे ठोस अस्तित्व में, हमारे दैनिक जीवन में।
आज भी कितने मरुस्थल हैं जिनसे होकर मानव प्राणियों को गुज़रना पड़ता है!
सबसे पहले है मानव के अन्तर में विद्यमान मरुस्थल, जब हममें न तो ईश्वर के प्रति और न ही पड़ोसी के प्रति प्रेम होता है,
जब हम इस तथ्य के प्रति सचेत होने में विफल हो जाते हैं कि हम उन सबके रखवाले हैं जिसे सृष्टिकर्त्ता ईश्वर ने हमें दिया है तथा अब भी देना जारी रख रहे हैं।
ईश्वर की दया सूखी से सूखी भूमि को भी बागीचा बना देती है, वह सूखी हड्डियों में भी जीवन को बहाल कर सकती है (दे. इज़े. 37:1-14)।
यह है वह निमंत्रण जो सबको सम्बोधित हैः ख्रीस्त के पुनरुत्थान की कृपा को हम ग्रहण करें!
ईश्वर की करूणा से हम अपने आप को नवीकृत होने दें,
हम येसु के प्रेम के पात्र बनें,
उनके प्रेम की शक्ति से हम अपने जीवन को रूपन्तरित होने दें;
तथा उनकी करूणा के अस्त्र बनें, ऐसे जलमार्ग बनें जिनके द्वारा प्रभु ईश्वर धरती को सींच सकें, समस्त सृष्टि की रक्षा कर सकें तथा न्याय एवं शांति को पनपने दें।
पुनर्जीवित येसु से हम निवेदन करें जो मृत्यु को जीवन में बदल देते हैं, घृणा को प्रेम में, प्रतिशोध को क्षमा में तथा युद्ध को शांति में परिवर्तित कर देते हैं।
जी हाँ, ख्रीस्त हमारी शांति हैं तथा उनके द्वारा हम सम्पूर्ण विश्व के लिये शांति का आह्वान करते हैं।
मध्य पूर्व में शांति, विशेष रूप से, इसराएलियों एवं फिलीस्तीनीयों के बीच,
जो समझौते के रास्ते की खोज हेतु संघर्षरत हैं, ताकि वे उस झगड़े के अन्त हेतु स्वेच्छा से तथा साहसपूर्वक वार्ताओं का पुनरारम्भ करें जो दीर्घ काल से जारी है।
ईराक में शांति, ताकि हिंसा का हर कृत्य समाप्त हो।
सबसे पहले, प्रिय सिरिया में शांति, युद्ध से पीड़ित उसकी जनता के लिये शांति तथा उन अनेकानेक शरणार्थियों के लिये जो सहायता एवं सान्तवना की बाट जोह रहे हैं।
कितना अधिक रक्त बहाया गया है!
इस संकट का राजनैतिक समाधान ढूँढ़ लिये जाने तक और कितनी पीड़ा से पार होना पड़ेगा?
अफ्रीका के लिये शांति, जो अभी भी हिंसक झगड़ों का दृश्य बना हुआ है।
माली में, एकता एवं स्थायित्व की स्थापना हो;
तथा नाईजिरिया में, जहाँ, खेदवश, अनेकानेक निर्दोष लोगों के जीवन को गम्भीर ख़तरों में डालनेवाले आक्रमण जारी हैं तथा जहाँ, बच्चों सहित, भारी संख्या में लोग आतंकवादी दलों द्वारा बन्धक रखे जा रहे हैं।
कॉन्गो लोकतांत्रिक गणतंत्र के पूर्व में शांति तथा केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र में शांति जहाँ अनेक लोग अपने घरों के परित्याग हेतु बाध्य किये गये हैं तथा भय और आतंक में जीवन यापन कर रहे हैं।
एशिया में शांति, विशेष रूप से, कोरियाई प्रायद्वीप में: मतभेदों को दूर किया जाये तथा नवीकृत पुनर्मिलन की भावना विकसित हो।
सम्पूर्ण विश्व में शांति जो अभी भी सरल लाभ की खोज की लालच द्वारा विभाजित है,
उस अहंकार से पीड़ित है जो मानव जीवन एवं परिवार को ख़तरे में डाल रहा है,
वह अहंकार जो मानव तस्करी में जारी स्वार्थ के घाव से पीड़ित है जो, इस 21 वीं शताब्दी में, दासता का सर्वाधिक घृणित प्रकार है।
मानव तस्करी एक ऐसी दासता है जो 21 वीं शताब्दी में सर्वाधिक व्यापक है!
मादक पदार्थों की तस्करी से संलग्न हिंसा तथा प्राकृतिक संसाधनों के चिन्ताजनक शोषण से टूट चुके सम्पूर्ण विश्व में शांति!
हमारी इस धरती पर शांति! पुनर्जीवित प्रभु येसु प्राकृतिक प्रकोपों के शिकार लोगों को सान्तवना दें तथा हमें सृष्टि के ज़िम्मेदार रखवाले बनायें।
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आप सब जो मुझे रोम तथा सम्पूर्ण विश्व से सुन रहे हैं आपको मैं स्तोत्र ग्रन्थ के भजन के निमंत्रण से सम्बोधित करता हूँ:
"प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है। उसकी सत्यप्रतिज्ञता अनन्त काल तक बनी रहती है। इस्राएल का घराना यह कहता जाये उसकी सत्यप्रतिज्ञता अनन्त काल तक बनी रहती है" (भजन 117:1-2)।
ख्रीस्तीय धर्म के केन्द्र के इस प्राँगण में विश्व के प्रत्येक क्षेत्र से एकत्र होनेवाले, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
और वे सब जो सम्प्रेषण माध्यम द्वारा इस समारोह से जुड़े हैं, उन सबके प्रति मैं हार्दिक शुभकामनाएँ नवीकृत करता हूँ, पास्का मुबारक!
आप अपने अपने परिवारों एवं देशों में, प्रति वर्ष, शक्तिशाली ढंग से, नवीकृत होनेवाले आनन्द, आशा, शांति के इस सन्देश को ले जायें।
प्रभु जी उठे हैं, पाप और मृत्यु पर विजय पानेवाले, सबके लिये समर्थन का स्रोत सिद्ध हों, विशेष रूप से, दुर्बल एवं ज़रूरतमन्द लोगों के लिये।
आपकी उपस्थिति तथा विश्वास के साक्ष्य के लिये धन्यवाद।
नीदरलैण्ड से आनेवाली, अति सुन्दर फूलों की भेंट के लिये हार्दिक धन्यवाद।
सबके लिये एक बार फिर मैं दुहराता हूँ: पुनर्जीवित ख्रीस्त, न्याय, प्रेम एवं शांति के रास्तों पर, हम सबका एवं सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शन करें।