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एक ईमारत हज़ारों ईटों से बनती है।
ठीक उसी तरह हमारा शरीर हजारों
कोशिकाओं से बना है।
कोशिका क्या है? कोशिका जीवन का एक बुनियादी संरचनात्मक
और क्रियात्मक इकाई है जो जीवन की सबसे छोटी इकाई है
और अकसर इसे जीवन का निर्माण खंड कहते हैं।
राबर्ट हुक ने 1665 में
बोतल की कार्क की एक पतली परत के
अध्ययन के आधार पर कोष्ठ देखे और
इन्हें कोशा
नाम दिया।
मथायस जेकब सक्लेदन और थिओडोर
श्वान ने सन् १८३९(1839) में सेल (कोशिका) सिद्धांत का प्रस्ताव रखा
जिसके अनुसार सभी पौधे एवं जीवों का निर्माण कोशिकाओं से हुआ है
और कोशिका जीवन की बुनियादी इकाई है।
एककोशिक जीव :
वे मात्र एक कोशिका से बने हैं जैसे अमीबा,
पैरामीशियम (paramecium) आदि। बहुकोशिकीय जीव :
वे अनेक कोशिकाओं से बने हैं जैसे
हम मनुष्य आदि।
जंतु कोशिका की संरचना पर एक नज़र
डालते हैं
और अब
पौधे की कोशिका की संरचना पर एक नज़र डालते हैं।
आइये अब कोशिका के घटकों के बारे में बातें करते हैं। कोशिका झिल्ली :
यह कोशिका की सबसे बाह्य लचीली परत है।
यह लिपिड और प्रोटीन से बनी है।
यह कोशिका को घायल होने से बचाती है और
यह परासरण को अनुमति देती है। यह चुनिंदा पारगम्य है
और इंडोसाइटोसिस को अनुमति देती है। झिल्ली में प्रोटीन वाहक
परिवहन के लिए होता है।
कोशिका दीवार : यह एक कठोर, अर्ध-लचीला
सुरक्षित और पारगम्य ऊपरी परत है जो कोशिका झिल्ली के बाहर होती है
जो केवल पौधे के कोशिकाओं में होता है यह सेल्यूलोज,
हेमी सेल्यूलोज और पेक्टिन से बना होता है। यह पौधे को शक्ति प्रदान करता है
और कोशिका को फटने से बचाता है।
नाभिक केंद्रक : यह चार भागों से बना है
नाभिक झिल्ली, नाभिकीय द्रव्य,
केंद्रिका और गुणसूत्र।
यह कोशिका के सभी कार्यों का नियंत्रण करता है और
कोश विभाजन करता है।
गुणसूत्रों का डीएनए, वंशानुगत वर्ण का
प्रसारण माता-पिता से बच्चों तक करता है।
कोशिका द्रव्य : यह एक मुरब्बे के जैसा एक अर्ध तरल पदार्थ है।
यह कोशिका झिल्ली और नाभिक के बीच रहता है।
इसमे विभिन्न कोशिकांग होते हैं।
कोशिकांग : ये
लघु उप-कोशिकीय आकृतियाँ हैं, जो विशेषीकृत क्षमतावाले विशिष्ट
कार्य करते हैं
और इसीलिए इनका अधिक महत्व है।
विभिन्न कोशिकांग
और उनके कार्य हैं : अंतर्प्रद्रव्य
जालिका,गोल्गी
सम्मिश्र या गोल्गी यंत्र,
वे झिल्ली से सीमित पुटिका हैं जो छोटी थैलियों में एक दूसरे के
समानांतर रुप से व्यवस्थित हैं जिसको
सिस्टरने कहा जाता है। यह कोशिका दीवार, कोशिका झिल्ली और लाइसोसोम के गठन में मदद करता है।
सरल शर्करा द्वारा जटिल शर्करा को गोलजी उपकरण में बनाया जा सकता है।
लाइसोसोम :
वे छोटे पुटिकाये होती हैं जिन पर एक झिल्ली की परत होती है
और इस में पाचक एंजाइम होते हैं जिसे कोशिका की
आत्महत्या थैली कहते हैं। वे बाह्य कणों को नष्ट करते हैं
और मृत एवं घिसी हुवी कोशिकाओं को निकाल देते हैं। कणाभसूत्र :
यह छड़ी के आकार के होते हैं जिनपर दोहरी झिल्ली की परत होती है,
यह कोशिकीय श्वसन के लिये है।
यह एडीनोसीन ट्राइफास्फेट के रूप में
ऊर्जा प्रदान करती है जो विभिन्न रासायनिक
गतिविधियों के लिये है अत: इसे कोशिका का
बिजली घर कहा जाता है। लवक :
यह केवल पौधों के कोशिकाओं में मौजूद होते हैं
और यह दो प्रकार के होते हैं और वे : लुकोप्लास्ट और क्रोमोप्लास्ट हैं।
हरे रंग के लवकों को क्लोरोप्लास्ट कहते हैं और इसमे क्लोरोफिल होते हैं
जो कि प्रकाश संश्लेषण के लिये महत्वपूर्ण हैं।
क्रोमोप्लास्ट फूलों
और फलों को रंग देता है। लुकोप्लास्ट स्टार्च,
तेल और प्रोटीन को जमा करता है।
राइबोसोम :
यह एक राइबोसोम की संरचना है।
रिक्तिका : जंतु के कोशिकाओं में छोटे आकार के रिक्तिकाएं होती हैं
जबकि पौधे की कोशिकाओं में बड़ी रिक्तिकाएं होती हैं।
इन पर तोनोप्लास्ट नामक एक झिल्ली की परत होती है।
पौधे कोशिकाओं की आडम्बरी (तुरगिदित्य) और कड़ापन
कोशिकाओं के रस की वजह से है। धन्यवाद।