Tip:
Highlight text to annotate it
X
4 जुलाई, 2011 को हमने एक अनुरोध ऑनलाइन प्रकाशित किया था
जिसमें हमने परस्पर-निर्भरता के बारे में बनने वाली एक लघु फ़िल्म में भाग लेने का आग्रह किया था।
संसार भर के लोगों ने हमें कलाकृतियाँ और वीडियो भेजे।
जिससे ये बात खुल कर सामने आई...
मानवीय घटनाचक्रों के दौरान...
हमारे लिए ये बहुत ज़रूरी हो जाता है
कि हम अपनी मौलिक विशेषताओं को पहचानें
जो हमें आपस में जोड़ती हैं।
इसके बाद हम फिर से मूल्यांकन करें
उन सत्यों का जिन्हें हम स्वयं प्रमाणित मानते आए हैं।
कि स्रष्टा ने सभी इंसानों को बराबर बनाया है
और सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं
कि स्रष्टा ने सभी इंसानों को बराबर बनाया है और सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
कि हम सभी एक ही लक्ष्य के पीछे दौड़ रहे हैं
आज़ादी
खुशी
खाना
पानी
घर
सुरक्षा
शिक्षा
न्याय
और बेहतर भविष्य की उम्मीद।
कि हमारा पूरा ज्ञान
अर्थतन्त्र
प्रौद्योगिकी और पर्यावरण
मूल रूप से परस्पर-निर्भर हैं।
परस्पर-निर्भर।
जो चीज़ एक ही प्रजाति के तौर पर हमें आगे बढ़ाएगी
वो है हमारी जिज्ञासा
हमारा क्षमादान
दूसरों का सम्मान
हमारी हिम्मत
और जुड़ने की हमारी इच्छा।
कि ये जो हमारी साझी चीज़ें हैं
अंतत: हमारी मदद करेंगी
पूरी क्षमता से हमारे विकास में।
और एक ओर जहाँ, हमें अपनी समस्याओं से गंभीरता से निपटना चाहिए
वहीं दूसरी ओर हमें ख़ुद को कभी भी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए
क्योंकि एक और चीज़ जो हमें एक दूसरे से जोड़ती है
वो है हमारी हँसने की क्षमता
और अपनी ग़लतियों से सीखने की हमारी कोशिशें।
ताकि हम इतिहास से सबक ले सकें
संसार में अपने अस्तित्व का महत्व समझ सकें
और अपने सम्पूर्ण ज्ञान का इस्तेमाल कर सकें
एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए
तो शायद वक्त आ गया है
कि हम एक प्रजाति के तौर पर
जो हँसना
सवाल पूछना और जुड़ना पसन्द करते हैं
कुछ मौलिक और ठोस काम करें।
सदियों से हमने स्वतन्त्रता की घोषणा कर रखी है
शायद अब वक्त आ गया है
कि हम इंसानों के तौर पर
अपनी परस्पर-निर्भरता की घोषणा करें
परस्पर-निर्भरता
अपनी परस्पर-निर्भरता की घोषणा करने के लिए...
लेट इट रिप्पल [letitripple.org] पर जाएँ
लेट इट रिप्पल [letitripple.org] पर जाएँ -- घोषणा (डिक्लेयर) पर क्लिक करें
लेट इट रिप्पल: सतत परिवर्तन हेतु विश्व चलचित्र