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नमस्कार ! प्लीस प्ले इट।
सद्गुरु - क्या हम एक विशाल लहर पैदा करें ?
कैसी लहर?
क्या हम आनंद की लहर पैदा करें?
आईये हम सभी मिलकर बोलें - अलै अलै अलै...
अलै अलै अलै... [लहर]
मन दौड़ता है
खुशी की खोज में
जीवन की प्रकृति को बिना समझे।
अलै अलै अलै... [लहर]
मन दौड़ता है
खुशी की खोज में
जीवन की प्रकृति को बिना समझे।
अलै अलै अलै...
मन दौड़ता है
खुशी की खोज में
जीवन की प्रकृति को बिना समझे।
येलेलो आईलेसा येलेलो...
आपकी इच्छा बस एक छोटी मछली की तरह है। (आहो)
पर यह बढ़ कर व्हेल जितनी बड़ी हो जाती है। (आहो)
और व्हेल पकड़ने के बाद भी
आप एक और छोटी मछली चाहते हैं। (आहो आहो)
हवा चलती है
कश्ती डोलती है
इच्छा की लहरों के ऊपर।
दिल धड़कता है
ज़िंदगी चलती है
इच्छा की लहरों की वजह से।
थनथानाने थने थन थनथानाने...
लहरें केवल सागर की सतह पर हैं
सागर की गहराई में मछलियां आजाद हैं।
इच्छाएं केवल मन की सतह पर हैं
बहुत गहराई में सिर्फ परमानंद का नृत्य है।
जब आप यह जान लेंगे आप आनंदित हो जाएंगे
और तब सभी लहरें बस आनंद की लहरें होंगी।
येलेलो आईलेसा येलेलो...
अलै अलै अलै...
मन दौड़ता है
खुशी की खोज में
जीवन की प्रकृति को बिना समझे।
अलै अलै अलै...
मन दौड़ता है
खुशी की खोज में
जीवन की प्रकृति को बिना समझे। [तालियाँ]