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हम सभी को यह दृश्य पता हैं: डोरोथी अपनी आखें बंद करती है,
और अच्छी जादूगरनी का मंत्र पढ़ती हैं,
"किसी के निवास का कोई निर्देशांक नहीं है,
किसी के निवास का कोई निर्देशांक नहीं है,
किसी के निवास का कोई निर्देशांक नहीं है,"
डोरोथी सिर्फ ऐसा नही कहती | वो पांच शब्दांश भी कहती है,
"घर की तरह कोई जगह नहीं हैं"
हर वो शब्द जो आपने अपने बोलने के आरंभिक वर्षों में सिखा हैं,
हर बिलकुल संक्षिप्त
यह वो एल (L) नहीं है, फ्रैंक बॉम के पास शब्दकोष नहीं था,
बहुतायत में वो कीमती शब्द असफल हो जाते हैं |
क्या एरोस्मिथ इसके साथ प्रसिद्ध हो पाते
"इस दिशा में चलो (Ambulate This Direction)?
शायद नहीं |
क्या यह कहने से पैट्रिक हेनरी क्रांति सुलगा पाते
मुझे मेरी आज़ादी दो या विप्पति मुझे पर आ जाओं"
संभावना नहीं है |
जब शब्दों पर बात आती हैं, बड़े बड़े ही हमेश बेहतर नहीं होते |
कीमती शब्द को की कोई कीमत नहीं हैं अगर उन्हें समझा न जा सके |
यह कहने का यह अर्थ नहीं कि साहित्य की हर कृति
चौथी कक्षा के स्तर पर लिखी जाए,
लेकिन अपने श्रोताओं को जानना जरुरी है |
अगर आप उपन्यासकार हैं, आपके श्रोता शायद
300 पन्ने के विस्तृत वर्णन की आशा करते होंगे |
कम से कम उनकी आशा हैं
आप वहीँ 50 शब्द उपयोग नहीं करेंगे पन्ने को भरने के लिए |
लेकिन हम से बहुतो के पास बंदी श्रोताओं का सुख नहीं हैं |
हम विकर्षण की दुनिया के विरुद्ध लड़ रहे हैं
और ध्यान का समय पाने के लिए लड़ रहे हैं
पीढ़ियों में जो कि लगातार घट रही हैं |
तो बात को समझिए |
विविधता जीवन में मसालेदार हो, लेकिन संक्षिप्तता इसकी रोजी-रोटी है |
तो जब यह कीमती शब्दों के बारे में हों,
अपने पैसे बचाइए और एक स्क्रेब्ब्ल बोर्ड खरीदये |