Tip:
Highlight text to annotate it
X
ज़िन्दगी एक सिगेरेट है
लिपटें हैं कुछ सपने जैसे हो तम्बाकू एक कागज़ में लिपटा,
ये कागज़ ही हमारी तक़दीर है|
जैसे रेल की पटरियां हैं संग-संग चलती,
तक़दीर के कागज़ की सिगेरेट है जलती|
अपने सपनो को आग दे|
इन्हें धुआं होने दे|
धुआं अन्दर खींच|
ये धुआं ही असली सच है|
एक सिगरेट की तरह राख बन जाना ही तेरी आख़िरी मंज़िल है,
मगर जब इन सपनो को आग में तपाएगा,
तभी अपनी मंज़िल पाएगा|
नहीं तो तू क्या है?
अगर कुछ है तो क्यूँ है?
और कुछ नहीं है तो क्यूँ नहीं है?
वो सिगरेट ही क्या जिसे कभी ना जलाने का हो फ़रमान जारी?
वो बंदा ही क्या जो अपने सपनों के लिए जलने को हो ना राज़ी?
ये नशा घातक तो है,
मगर सिगरेट का नशा, कुछ अलग ही नशा है|
सपनों के नशे की तरह, नींद छीन लेता है|
खींच ले
जितना धुआं खीँच सके|
जी ले जितना जी सके|
क्यूकी राख़ हो जाने के बाद,
नहीं रहेगी कोई कीमत तेरी|
बस सिगरेट का फ़िल्टर रह जायेगा,
तेरे नाम की तरह|
दुनिया को याद दिलाता रहेगा,
की तू था कभी|
की तूने सपनों को जीने की हिम्मत की थी|
की तूने पल भर को ही सही, ज़िन्दगी जी थी|
सिगरेट मौत तो लाती है,
मगर पल भर की ज़िन्दगी के साथ|
चुन ले|
जीते जी मरेगा
या मरते मरते, थोड़ा जियेगा?