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सामवेद में ऋतुओं के विषय में वर्णन आता है| ये चार वेड भारतीय संस्कृति का चार स्तंभ है|
भगवान राम के पहले वेड थे| भगवान कृष्ण से पहले वेड थे| भगवान राम के गुरु, दशरथ के गुरु
ने वैदिक रीत बताई और यज्ञ याज्ञ किया, और भगवान ने वरदान दिया के मैं तुम्हारे घर आऊँगा
तो मानना पड़ता है की इस सनातन धर्म हीन्दु धर्म की स्थापना किसी पीर, पैगम्बर, ईश्वर के पुत्र ने नहीं की|
साधू संत ऋषियों ने भी नहीं की| यहाँ तक की श्री कृष्ण ने अथवा श्री रामजी ने भी इस सनातन धर्म में
हिंदू धर्म में अवतरण किया और इसका अमृत अपनी रीत भात से अपनी भाषा से लोगों तक पहुंचाया|
मनुष्य के जीवन में जितना दिव्य वैदिक ज्ञान होता है जितना धर्म का ज्ञान होता है जितना धर्म के अनुकूल व्यवहार होता है उतना ही वो सुदृड होता है, सम्पन्न होता है|
और अपने लिए और के लिए सुखद होता है| जितना मनुष्य वैदिक ज्ञान से दूर होता है चाहे किसी देश में रहे चाहे हिंदू धर्म को मने ना माने|
लेकिन वैदिक ज्ञान की बात जितनी जिसके जीवन में होगी उतना वो स्वस्थ रहेगा| उतना वे प्रसन्न रहेगा|
उतना उसका अंतरात्मा का सुख छलकेगा, उभरेगा| सामवेद में आता है वसंत इन्हू रत्न्योह, ग्रीष्म इन्हू रत्न्याह| वर्षा इन्हू शरदोह| हे मनतह शिरशराह इन्हू रत्न्याह|
निश्चय ही वसंत हमारे लिए रमणीय हो| अभी हम वसंत ऋतु मे जी रहे हैं| ये वसंत उत्सव , हमारे लिए कैसे सुखदाई हो? की हमारा खान पान ऋतु के अनुसार अदल बदल हो जाये|
तो इस ऋतु का मादक आनंद, उल्हास, मस्ती, हम ले सकते है| अगर इस वसंत ऋतु मे हमने सर्दी की नाई घनिष्ट पदार्थ खाए| चुपड़े-चुपड़े खाए, पाक खाए अथवा दही खाई|
किसी से दुश्मनी हो तो होली के दिनों के आसपास उसे दही खिला दो| और खूब मीठा और भारी खिला दो|
मरे नहीं तो बीमार तो जरूर हो जायेगा| श्रीखण्ड खिला दो| भरी खुराक वसंत ऋतु मे पचेगा नहीं|
हमारे लिए वसंत ऋतू सुखदाई हो| जोड़ों मे, सर्दियों मे जो हमने शरीर के बांधे को मजबूत बनाने के लिए खुराक खाए उससे जो उर्जा और शक्ति बनी उसके साथ-साथ शरीर मे
कफ भी संग्रहित किया| सूर्य के, वसंत ऋतु मे, सूर्य के सीधे किरण अब धरती पर शुरू हुए|
ग्रीष्म ऋतू आएगी, गर्मी, तो नादियो का कफ पिघल के जठरा मे जायेगा|
तो जठरा की जो पाचन शक्ति है पहले की अपेक्षा मंद हो जायेगी| अब पाचन शक्ति मंद और फिर खाए श्रीखण्ड अथवा दही ओए-ओए|
मेरे को किसी ने कर दिया है| बड़े मियां किसी ने नही किया| तुने तेरी जात को किया|
क्योंकी वैदिक ज्ञान नही है| जय राम जी की| वैदिक ज्ञान आपके ऋतु परिवर्तन के साथ आपके खान पान के परिवर्तन की सलाह देता है|
होली का उत्सव है| इन दिनों मे कफ पिघल-पिघल कर जठरा मे आता है|
इसमें हास्य, विनोद, कूद, फांद, आदि से वो जठरा प्रदीप रहे और तुम्हारे शरीर का कफ पिघल-पिघल
के पच-पच के नाडियों को शुद्ध कर दे और कफ का दोष, कफ का प्रकोप, शरीर को सताए नही|
इस प्रकार जो व्यवस्था है ये वैदिक व्यवस्था है| वसंत हमारे लिए सुखद हो, वसंतम इनु र्त्न्य्हो, ग्रीष्म इनु रत्नयाह |
हमारे लिए गर्मी भी सुखदायी हो, गर्मी क्सक्स भी हमारा शरीर सुखद हो, सुदृड हो|
निश्चय ही वसंत रमणीय हो, तो वर्षा भी हमारे लिए रमणीय हो| हमारे लिए सभी ऋतू रमणीय हो|
हमारे लिए सभी दिन रमणीय हो| हमारे लिए सभी क्रम रमणीय हो| हमारे लिए सभी देव सुखद हो|
और हमारे सभी विचार परमात्मा परख हो| क्योंकि हम परमात्मा की सनातन सन्तान है| हम सुखद सन्तान है|
हम अपने ज्ञान को अपनी चेतनता को, अपने आनंददाता को,उभरते रहे| तो सामवेद कहता है वसंत इन्हू रत्नयहो, ग्रीष्म इन्हू रत्नयह, वर्षा इन्हू शरदो हेमंत; शिष्ह्र इन्हू रत्नयह|
निश्चय ही वसंत रमणीय हो| हमारे लिए सुखदायी हो| निश्चय ही ग्रीष्म हमारे लिए रमणीय हो|
निश्चय ही वर्षा और उसके पीछे आने वाली शरद और हेमंत और शिष्ह्र हमारे लिए सभी ऋतुए रमणीय हो|
रमणीय तब होगी जब रितुओ का ज्ञान होगा| रितुओ के खान पान का ज्ञान होगा और रितुओ मई होने वाले उपद्रवो का ज्ञान होगा|
अब कफ पिघलता है| अगर इन दिनों मई तुमने भारी खाया तो| तो क्या होगा पता है? बुखार आने की संभावना है| क्योंकी पाचन मंद है और भरी खाया है|
आम बड जायेगा| कच्चा रस बड जायेगा| बुखार आएगा| सर्दी होने की सम्भावना है| खांसी होने की सम्भावना है|
तोंसिल होने की और सिर भरी होने की, सुस्ती अति और आलस्य अति होने की सम्भवना है|
वर्ष भर मई इतनी ज्यादा नींद किसी दिनों में नहीं आती जितनी इस वसंत के ऋतू में आती है|
तो जठरा की मंदता को दूर करने के लिए भुने हुए चने,धानी, ताज़ी हल्दी, ताज़ी मूली, अदरक, पुराने जौ, मूंग, गन्ना, गन्ने का रस|
मैंने संचालक को पहले कहके भेजा के होली का उत्सव हो तो गन्ने का रस सस्ते में सस्ता मिलना चाहिए और सबको मिल जाए|
उतना गन्ने का स्टॉक होना ही चाहिए| चार ट्रक का स्टॉक कर रखा है| क्योंकी वसंत उत्सव है| ये दिसम्बर की शिविर नही है|
मार्च की शिविर है| और आज सुबह तुम्हारे को नाश्ते में धानी दी गई थी| जो कफ पिघलाए जठरा में आये धानी उसको
तुरंत शोषित कर दे ताकि आपका स्वास्थ्य आने वाले चार महीनों तक अच्छा बना रहे|
तो हमारे लिए वसंत सुखदायी तब होगी, हम ज्ञान के अनुसार खान पान को, आहार व्यवहार को थोडा स्वीकार कर लेंगे|
इन दिनों में जिसको ज्यादा कफ है अथवा दमा है, खांसी है, टीबी है| ऐसे लोगों को और ज्यादा कफ जिनका शरीर कर बैठा है| 44 00:08;28,01 --> 00:08:43,00 ऐसे लोगों को नागर मोथा या सौंठ का उबाला पानी हितकारी है कफ नाशक है| इन दिनों में मालिश करके फिर उबटन लगदे|
चने के आटे की| आवला अथवा त्रिफला का सुखा चूर्ण मिला दे और उबटन लगा कर गुनगुने पानी से शरीर को नहलाये|
शरीर स्वस्थ रहेगा और दोष जो रोग के रूप में आने वाले हैं वो दोषों के कण वैसे ही शरीर से निकल जायेंगे|
इन दिनों में खाली पेट हर्ड और शहद का मिश्रण थोडा सा लें| इससे भी पेट साफ और कफ के द्वारा जो भी बीमारी होती है उनको भगा दिया जा सकता है|
इन दिनों में अगर किसी से दुश्मनी हो तो उसे खूब ठंडा पानी पिलाओ खूब आइसक्रीम खिलाओ, चोक्लाते खिलाओ|
मैदे की चीजे खिलाओ| दही और खमीर वाली चीजे खिलाओ| तो उसकी सत्यानाश हो जायेगी|
तो उसके लिए वसंत ऋतू सुखदाई नही दुखदाई होगी| लेकिन इन चीजों से परहेज करेगा तो उसकी वसंत ऋतू सुखदाई हो जायेगी|
ये केवल हमारा वैदिक ज्ञान शरीर की तंदुरुस्ती की ही बात नही बताता| आपके मन की प्रसन्नता की बात तो बताता है|
लेकिन मन की प्रसन्नता ही तक ये वैदिक वाणी रूकती नही| ये बुद्धि की ऊंचाईयों को भी बदाने की बाते, और तरकीबे और प्रयोग बताता है|
इतना ही नही बुद्धि उनकी ऊँचाईया जिससे होती है उस ऊँचे में ऊँचे परमात्मा के सत को परमात्मा की चेतनता को
और परमात्मा के आनंद को तुम्हारे व्यवहारिक जीवन में उभारते-उभारते परमार्थिक मोड देकर जीवन की शाम
होने के पहले जीवनदाता से मिलाने की खुसखबरी देने वाला ये वैदिक ज्ञान है| वसंत इन्ह रत्नयहो, ग्रीष्म इन्हू रत्नयह|
वसंत ऋतू हमारे लिए सुखदाई हो| हे गर्मी ऋतू हमारे लिए सुखदाई हो| इस ऋतू में अगर तुम्हे स्वस्थता की बाते कुछ
और भी समझ में आ जाये और अम्ल में आजाये तो तुम्हारे लिए ग्रीष्म ऋतू, ये गर्मी की ऋतू भी सुखदाई हो जायेगी|
१५-२० नीम के कोमल पत्ते सुबह चबा-चबा कर १-२ कलि मिर्च मिलाकर पीये, खाए ऊपर पानी पीये| ये प्रयोग १५-२० दिन करे|
२० पत्तों का तो आपको मलेरिया या दूसरे बुखार या छोटे-मोटे रोग जल्दी से पकडेंगे नही| आये तो वहाँ टिकेंगे नही|
जैसे आये वैसे ही जल्दी चले जायेगे| अगर सम्भव हो तो ७ दिन या १५ दिन तक नीम के फूलों का रस थोडा रोज पियें सुबह खली पेट|
फिर तुरंत दूध चाय न पीये २ घंटे तक २.३० घंटे तक| तो फिर तुम्हारा रोग प्रतिकारक शक्ति बड़ने में दूसरी भी मदत लें|
तो इन वसंत ऋतू में आप अलूना भोजन करे| लूँ बिना का निमक बिना का| इससे क्या होगा? निमक कम वाला भोजन करने से
रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी| हाई बीपी आदि का रोग हावी नही होगा| वसंत ऋतू में एक खास बात ध्यान देने योग्य है|
के इन रितुओ में ज्यादा जगे नही और दिन को वो सोये नही| दिन को सोयेगा तो कफ वृद्धि होगी| दही खायेगा तो कफ वृद्धि होगी|
मीठे पदार्थ खायेगा तो कफ वृद्धि होगी| वैसे ही कफ पिघल कर जठरा में आ रहा है और वृद्धि हो तो जठरा एकदम मंद हो जायेगी|
बुखार हो जायेगा| तो किडनी की तकलीफ दूरं रहे| हृदय मजबूत रहे| हाई बीपी न हो| त्वचा के रोग न हों और रोग प्रतिकारक शक्ति
बड़े अगर आप ये चाहते है तो निमक की थोड़ी सी मात्रा कम कर दो अथवा बेलुना भोजन कर दो| आश्रम का जो भोजन भंडार
विभाग है कान खोल के सुन ले नमक कम| नींद दोपहर को नही| हाँ रातपाली है कोई बिचारा नौकरी करता है उसकी बात अलग है|
बाकी १०-१५ दिन सम्भाल लें तो उसके लिए वेड का वचन साकार हो जायेगा| वसंत इन्ह रत्नयहो, ग्रीष्म इन्हू रत्नयह|
ग्रीष्म भी उसके लिए सुखद हो जायेगी| वर्षा इन्हू शरदोह| हे मनतह शिरशराह इन्हू रत्न्याह|| दूसरी बात| होली खेलते है|
सूर्य के सीधे किरण धरती पे पड़ते है| जिससे हमारा कफ तो पिघलता है और जठरा थोड़ी मंद होती है|
सप्त धातुओं मे और शरीर के सप्त रंगों में एक प्रकार की हेल-चल हो जाती है| वसंत उत्सव मानाने के पीछे ऋषियो
की खूब-खूब ऊँची समझने लोगों का भला किया| न जाने इन ऋषियों की ऊँची समझ ने कितने रोगियों को निरोग बनाने का 74 00:14,27,01 --> 00:14:36,00 महान कार्य किया| न जाने इन संत पुरुषों के सत्संग ने कितने अशांत हृदयों को शांति दी| कितने टूटे दिलो को जोड़ा और
और कितने खिन्न मनो को अमृतमय बनाया| और कितने अशांत जीवन को शांतिमय और कितने शांत जीवन को परमात्म मय
बनाया उसकी गिनती मैं नही कर सकता| ये भारत संस्कृति के उत्सव गजब के हैं| वैदिक ढगं से जीवन जीने वालो का मानसिक
तनाव, खिचाव होता ही नही| विदेश में कहते है के १० आदमी के पीछे ७ आदमी मानसिक तनाव में परेशान हैं|
लेकिन मैं ये बात दावे से ख सकता हूँ के मेरे पास हजारों-हजारों, लाखो-लाखो भक्त हैं उसमेसे कोई बाहर से भक्त होगा
तो मानसिक तनाव में होगा बाकि सचमुच में जिसने नामदान लिया है मानसिक तनाव से वो मुक्त है मेरा भक्त| �