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"सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा तथा पृथ्वी पर उसके कृपापात्रों को शांति मिले"(लूक. 2,14)।
"रोम तथा समस्त विश्व के अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, क्रिसमस मुबारक!
स्वर्गदूतों के उस गीत पर मैं चिन्तन करना चाहता हूँ जो येसु के जन्म की रात्रि बेथलेहेम में चरवाहों को दिखाई दिये थे।
स्वर्ग की प्रशस्ति एवं महिमा तथा पृथ्वी एवं उस पर निवास करनेवालों को शांति प्रदान करनेवाला यह एक ऐसा गीत है जो स्वर्ग एवं पृथ्वी को एक दूसरे से जोड़ता है।
इस गीत में एक होने के लिये मैं सबको आमंत्रित करता हूँ:
यह उस प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष का गीत है जो रात भर जागता रहता है,
जो एक बेहतर विश्व की कामना करता है, जो विनम्रतापूर्वक अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हुए अन्यों के प्रति व्यग्र रहा करता है।
प्रभु ईश्वर की महिमा!
सर्वप्रथम इसी के लिये ख्रीस्तजयन्ती महापर्व हमें आमंत्रित करता हैः ईश्वर की महिमा क्योंकि वे भले हैं, वे विश्वसनीय है, वे दयालु हैं।
इस दिन मेरी मंगलकामना है कि प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर के सही चेहरे को जान सके, उन पिता ईश्वर के जिन्होंने हमें येसु का वरदान दिया है।
मेरी आशा है कि सभी लोग ईश्वर के सामीप्य का अनुभव करें, उनकी उपस्थिति में जियें, उनसे प्रेम करें तथा उनकी आराधना करें।
मेरी मंगलकामना है कि हममें से प्रत्येक जन ईश्वर की महिमा का बखान करे, विशेष रूप से, अपने जीवन द्वारा, ईश्वर के प्रति एवं हमारे भाइयों एवं बहनों के प्रति प्रेम में व्यतीत जीवन द्वारा।"
"मानवजाति को शांति!
हम जानते हैं कि सच्ची शांति विरोधी शक्तियों के बीच सन्तुलन नहीं है।
वह कोई सुन्दर मुखौटा नहीं है जिसके पीछे संघर्ष एवं विभाजन छिपे हों।
शांति, दैनिक समर्पण की मांग करती है। शांति वह कार्य है जिसे ईश-वरदान रूप में ग्रहण कर नित्य आगे बढ़ाया जाता है।
उस कृपा से लेकर जो हमें ईश्वर से येसु ख्रीस्त में मिली है।
चरनी में पड़े शिशु को निहारते हुए, हमारे विचार उन बच्चों के प्रति अभिमुख होते हैं जो युद्ध के अति कमज़ोर शिकार हैं,
किन्तु साथ ही वयोवृद्धों का भी हम विचार करें,
दुर्व्यवहार की शिकार महिलाओं एवं रोगियों के बारे में भी सोचें
युद्ध कितने अधिक लोगों के जीवन को तहस-नहस कर उनका विनाश कर देता है!"
सिरिया में जारी संघर्ष से, हाल के समय में बहुत अधिक लोगों का जीवन तहस-नहस हुआ है इसने घृणा एवं प्रतिशोध को भड़काया है।
प्रभु से हम प्रार्थना करना जारी रखें कि वे सिरिया की प्रिय जनता को और अधिक उत्पीड़न से बचायें,
संघर्षरत दलों को सब प्रकार की हिंसा समाप्त करने में सक्षम बनाये तथा पीड़ितों को लोकोपकारी राहत सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिलवायें।
हमने देखा है कि प्रार्थना कितनी शक्तिशाली है!
और आज भी मैं प्रसन्न हूँ कि विभिन्न धर्मों के अनुयायी सिरिया में शांति हेतु प्रार्थना में हमारे साथ एकप्राण हैं।
प्रार्थना करने का साहस हम कभी न छोड़े!
यह बोलने का साहस न गँवायेः "प्रभु! सिरिया तथा सम्पूर्ण विश्व को आप अपनी शांति प्रदान करें।"
ग़ैरविश्वासियों को भी मैं आमंत्रित करता हूँ कि वे शांति की अभिलाषा करें, ऐसी अभिलाषा जो हृदयों को उदार बनाती है।
सब एक साथ, प्रार्थना में अथवा अभिलाषा में किन्तु सबके सब, शांति के लिये एकजुट।
"प्रायः भुलाये दिये गये एवं उपेक्षित केन्द्रीय अफ्रीका को प्रभु शांति प्रदान करें।
तथापि, प्रभु, आप किसी को नहीं भूलते!
और उस धरती पर भी आप शांति लाना चाहते हैं जो हिंसा एवं निर्धनता के चक्रव्यूह से घिरी है,
जहाँ बहुत से लोग बेघर हैं, पानी, भोजन एवं जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं से वंचित हैं।
दक्षिणी सूडान में समझौतों की बहाली कर,
जहाँ सामयिक तनावों ने बहुत से लोगों को अपना शिकार बनाया है तथा उस युवा देश में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को ख़तरे में डाल रहे हैं।
शांति के राजकुमार, हर जगह हिंसकों का मनपरिवर्तन कर ताकि वे शस्त्रों का परित्याग करें
तथा वार्ताओं का मार्ग अपनायें।
नाईजिरिया पर अपनी दृष्टि डाल, जहाँ अनवरत जारी आक्रमण निर्दोष एवं सुरक्षा विहीन लोगों को भी नहीं बख्श रहे हैं।"
उस धरती को आशीष दे जिसे तूने अपने जन्म के लिये चुना
तथा ऐसा कर कि इसराएलियों एवं फिलिस्तीनियों के मध्य शांति-वार्ताओं का अनुकूल परिणाम निकले।
हमारे परमप्रिय देश, ईराक, के घावों का उपचार कर जो अब तक प्रायिक हिंसक कृत्यों का प्रहार झेल रहा है।
जीवन के स्वामी, तेरे नाम के कारण अत्याचार सह रहे समस्त लोगों की रक्षा कर।
विस्थापित एवं शरणार्थी बने लोगों को आशा एवं सान्तवना प्रदान कर,
विशेष रूप से, हॉर्न ऑफ अफ्रीका तथा कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी क्षेत्र में।
प्रभु! ऐसा कर कि प्रतिष्ठापूर्ण जीवन की तलाश में निकले आप्रवासी आतिथेय एवं सहायता प्राप्त करें।
वैसी त्रासदी जो इस वर्ष हमने लामपेदूसा में, इतने अधिक लोगों की मौतों के साथ देखी, फिर कभी न हो।
बेथलेहेम के शिशु, उन सब लोगों के हृदयों का तू स्पर्श कर जो मानव तस्करी में लगे हैं
ताकि वे मानवजाति के विरुद्ध इस अपराध की गम्भीरता को पहचानें।
उन अनेक बच्चों पर दृष्टि डाल जो अपहरण के शिकार हैं, सशस्त्र संघर्षों के कारण घायल हैं, मारे गये हैं
तथा उन बच्चों पर भी जिनसे उनका बचपन ही छीन लिया गया है तथा जिन्हें सैनिक बनने के लिये बाध्य किया गया है।
स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, हमारे इस ग्रह पर दृष्टि डाल
जिसका प्रायः मानवीय लोभ एवं लालच के कारण अन्धाधुन्ध शोषण होता रहता है।
प्राकृतिक आपदाओं के शिकार समस्त लोगों को सहायता एवं सुरक्षा प्रदान कर
विशेषतः, फिलीपिन्स के लोगों को जो हाल के तूफान से गम्भीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज इस विश्व में, इस मानवजाति के बीच, मुक्तिदाता का जन्म हुआ है जो प्रभु ख्रीस्त हैं।
बेथलेहेम के शिशु के आगे हम तनिक रुकें।
अपने हृदयों का हम स्पर्श करने दें,
इससे हम भय न खायें।
अपने हृदय की संवेदनशीलता से हम नहीं डरें।
हमें इसकी आवश्यकता है कि हमारा हृदय संवेदनशील रहे।
ईश्वर की स्नेहशीलता की गर्मी को हम महसूस करें; हमें उनके स्नेह की आवश्यकता है।
ईश्वर की स्नेहशीलता हम पर घाव नहीं करती।
ईश्वर की स्नेहशीलता हमें शांति एवं शक्ति प्रदान करती है।
ईश्वर की स्नेहशीलता की हमें ज़रूरत है।
ईश्वर प्रेम से परिपूर्ण हैं: अनन्त काल तक उनकी प्रशंसा एवं महिमा!
ईश्वर शांति हैं: प्रतिदिन शांति निर्माण हेतु हम उनसे याचना करें
अपने जीवन में, अपने परिवार में, अपने शहरों एवं देशों में
तथा सम्पूर्ण विश्व में
अपने आप को हम ईश्वर की भलाई से ओत-प्रोत् होने दें।"