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मदन-मोहन । मदन का अर्थ हैं यौन आकर्षण।
मदन - यौन अाकर्षण, कामदेव, अौर कृष्ण को मदन-मोहन कहा जाता है ।
हम, मेरे कहने का मतलब है, कि यदि कोई श्रीकृष्ण से आकर्षित होता है तो वह यौन आकर्षण से मुक्ति पा सकता है ।
यही मापदंड है। मदन पूरे विश्व को आकर्षित कर रहा है।
हर कोई यौन जीवन से आकर्षित होते हैं ।
यह पूरा भौतिक विश्व यौन जीवन के आधार पे चल रहा है। यही तथ्य है।
यन मैथुनादि-ग्रहमेधि सुक्खम हि तुच्छम (श्री भ ७।९।४५)
यहाँ, खुशी, तथाकथित खुशी है मैथुन, मैथुनादि ।
मैथूनादि का अर्थ हैं यहाँ खुशी आरंभ होती है मैथून से, यौनाचार से।
साधारणतः लोग.....एक मनुष्य विवाह करता है ।
उद्देश्य है यौन इच्छाओं को तुष्ट करने के लिए।
फिर वह बच्छे पैदा करता है । फिर जब बच्चे बडे हो जाते हैं, वे
पुत्री की शादि होती है एक अन्य लड़के के साथ अौर पुत्र की शादी होती है एक अन्य लड़की के साथ ।
वहॉ भी कारण वही हैं, यौन। और फिर, पोते ।
इस तरह से, यह भौतिक सुख - श्रीयैश्वर्य प्रजेप्सव:
उस दिन हम चर्चा कर रहे थे। श्री का अर्थ है सौन्दर्य, ऐश्वर्या का अर्थ है धन-संपत्ति और प्रजा का अर्थ हैं प्रजनन।
अाम तौर पर लोग, उन्हे अच्छा लगता है -अच्छा परिवार, अच्छी जमा-पूँजी,
और अच्छी पत्नी, अच्छी पुत्री, अच्छी बहू ।
अगर एक परिवार यदि सुन्दर महिलाओं और सम्पदा से भरा है।
और अनेक बच्चों से, वह समृद्ध माना जाता है ।
वह अत्यंत संपन्न पुरुषों में गिना जाता है ।
तो शास्त्र कहता है " सफलता क्या है ?"
यह सफलता अारंभ होती है सेक्स संभोग से । बस । और उन्हें बनाए रखना ।"
तो यन मैथुनादि-ग्रहमेधि सुक्खम हि तुच्छम ( श्रीभ ७।९।४५)
यहाँ खुशी सेक्स जीवन से शुरू होती है, मैथुनादि ।
हम एक अलग तरीके से इसे पॉलिश कर सकते हैं, लेकिन यह मैथुन, सेक्स जीवन का सुख, सुअरों में है ।
सुअर भी, वे पूरा दिन खा रहे हैं, यहाँ और वहाँ, : "मल कहां हैं? मल कहां है?"
और बिना किसी भेदभाव के यौन जीवन कर रहे हैं ।
सुअर भेदभाव नहीं करते है कि मां, बहन या बेटी है ।
तो इसलिए शास्त्र कहता है, "यहाँ, इस भौतिक दुनिया में, हम उलझे हैं,
हम केवल इस सेक्स जीवन के कारण इस भौतिक दुनिया में कैद हैं ।"
यही कामदेव हैं । कामदेव सेक्स जीवन के देवता हैं, मदन ।
जब तक हम, जो कहा जाता है, मदन से प्रेरित हैं, कामदेव,
वह नहीं हो सकता है, मेरे कहने का मतलब है, सेक्स जीवन से आनंदित ।
और कृष्ण का नाम है मादन मोहन ।
मादन-मोहन का मतलब है जो कृष्ण की ओर आकर्षित होता है, वह सेक्स जीवन से प्राप्त आनंद को भूल जाएगा ।
यह परीक्षण है । इसलिए उनका नाम मादन-मोहन है । यहाँ मादन-मोहन है ।
सनातन गोस्वामी मादन-मोहन की पूजा करते थे ।
मदन या मादन । मादन का मतलब है पागल हो जाना । और मदन, कामदेव
तो हर कोई सेक्स जीवन के बल से व्यथित है । कई स्थान हैं ...
भागवतम में यह कहा जाता है पुम्स: स्रिय मिथुनि भावम एतत तयोर मिथो ह्रदय-ग्रन्थिम अाहुर ।
पूरा भौतिक संसार चल रहा है: आदमी औरत से आकर्षित है, औरत आदमी से आकर्षित है ।
अौर इस आकर्षण की खोज में, जब वे एकजुट होते हैं , इस भौतिक दुनिया के लिए उनका लगाव अौर अधिक हो जाता है ।
और इस तरह से एकजुट होने के बाद, या शादी होने के बाद, एक औरत और आदमी,
वे घर ढूढते हैं, ग्रह; क्षेत्र, काम, व्यापार, कारखाने, या कृषि क्षेत्र ।
क्योंकि पैसा कमाना पडता है । तो भोजन लाअो ।
ग्रह-क्षेत्र ; सुत, बच्चे और; अाप्त, मित्र; वित्त, धन
अत: ग्रह क्षेत्र-सुताप्त वित्तैर जनस्य मोहो अयम ( श्री भ ५।५।८)
इस भौतिक दुनिया के लिए आकर्षण अधिक से अधिक तंग हो जाता है ।
इसे मदन, मदन द्वारा आकर्षण कहा जाता है ।
लेकिन हमारा काम है इस भौितक दुनिया की चका चौंद से आकर्षित न होना ।
लेकिन कृष्ण से आकर्षित होना । यही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है ।
जब तक तुम कृष्ण की सुंदरता से आकर्षित नहीं हो जाते हो,
हमें भौतिक दुनिया के इस झूठे सौंदर्य की सुंदरता से संतुष्ट होना होगा ।
इसलिए श्री यमुनाचार्य नें कहा है कि:
यदावधि मम चेत: कृष्ण-पदारविन्दयोर नव-नव-धाम रन्तुम अासीत :
"जब से मैं कृष्ण की सुंदरता से आकर्षित हुअा हूँ और मैंने उनके चरण कमलों की सेवा करने शुरू की है,
और मुझे तब से, नई, नई शक्ति मिल रही है
जैसे ही मैं सेक्स संभोग के बारे में सोचता हूँ, मैं उस पर थूकना चाहता हूँ ।"
यही है वितृष्णा, अब और आकर्षण नहीं.....
इस भौतिक दुनिया के आकर्षण का केंद्र बिंदु सेक्स जीवन है,
और जब हम, यौन जीवन से अलग हो जाते हैं, ...
तदवधि मम चेत:.....यदावधि मम चेत: कृष्ण-पदारविन्दयोर नव-नव-धाम रन्तुम अासीत :
तदवधि बत नारी संगमे स्मर्यमाने भवति मुख विकार: सुश्टु निश्थीवनम च
"जैसे ही मैं सेक्स संभोग के बारे में सोचता हूँ,
तुरंत मेरे मुंह मुड जाता है अलग दिशा में और मैं उस पर थूकना चाहता हूँ । "
तो इसलिए कृष्ण मदन-मोहन हैं ।
मदन हर किसी को आकर्षित कर रहा है , सेक्स जीवन,
और कृष्ण, जब हम कृष्ण से आकर्षित होते हैं, तो मदन भी पराजित हो जाता है ।
तो जैसे ही मदन पराजित हो जाता है, हम इस भौतिक दुनिया पर विजय प्राप्त करते हैं । नहीं तो यह बहुत मुश्किल है