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Translator: Govind Sharma Reviewer: arvind patil
हमारा मस्तिष्क एक अद्भुत और पेचीदा अंग है।
और जहाँ कई लोग इस मस्तिष्क से अचंभित हो जाते हैं,
वे आपको मस्तिष्क के काम करने के तरीके के बारे में
ज़्यादा कुछ नहीं बता सकते,
क्योंकि हम स्कूलों में तंत्रिका विज्ञान (न्यूरोसाइंस) पढ़ाते नहीं हैं।
और इसका एक कारण यह है कि उसके उपकरण
इतने पेचीदे और महँगे होते हैं,
कि यह सिर्फ मुख्य महाविद्यालयों और बड़े संस्थानों में ही किया जाता है।
और इसलिए, मस्तिष्क के अंदर सचमुच झाँकने के लिए
आपको अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करना पड़ता है,
और साढ़े छः साल एक ग्रेजुएट छात्र की तरह गुज़ारना पड़ता है,
सिर्फ इसलिए ताकि इन उपकरणों का इस्तेमाल कर सकें।
और यह शर्मनाक है, क्योंकि पाँच में से एक
यानी 20% लोगों को कोई-न-कोई मानसिक बीमारी है।
और इन बीमारियों के इलाज शून्य हैं!
और इसलिए ऐसा लगता है कि हमें करना ये चाहिए, कि
शिक्षा ग्रहण के समय ही
छात्रों को इस विज्ञान की शिक्षा दी जाए, ताकि भविष्य में.
वे एक मस्तिष्क-वैज्ञानिक बनने के बारे में सोचें.
जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था, तब मैं और मेरे लैब-सहपाठी टिम मार्ज़ूलो
ने सोचा के क्यों न हम इन मस्तिष्क-सम्बन्धी
जटिल उपकरणों को इतना सरल और सस्ता बना दें,
ताकि कोई भी -- हाई स्कूल के छात्र या कोई नौसिखिया
वे सब इसे सीख सकें और शोध में हिस्सा ले सकें।
और इसलिए हमने वैसा ही किया।
कुछ वर्ष पूर्व, हमने "बैकयार्ड ब्रेन्स" नामक एक कंपनी खोली
जो न्यूरोसाइंस के उपकरण बनाती है, उनमे से कुछ मैं आज यहाँ लाया हूँ।
और मैं उन्हें प्रदर्शित करना चाहता हूँ।
शायद आपको पसंद आये !
तो मुझे एक स्वयंसेवक चाहिए।
ठीक है -- तुम्हारा नाम क्या है?
सैम।
अच्छा सैम, मैं तुम्हारे दिमाग में से कुछ रिकॉर्ड करूँगा।
क्या पहले ऐसा कुछ करवाया है?
नहीं।
विज्ञान के लिए अपना हाथ आगे करो,
बाज़ू ज़रा ऊपर करो,
मैं तुम्हारी बाँह पर कुछ इलेक्ट्रोड लगाउँगा,
और तुम शायद सोच रही होंगी,
मुझे दिमाग से रिकॉर्ड करना था, बाँह पर कैसे पहुँच गया?
देखो, तुम्हारे दिमाग में इस समय 80 अरब न्यूरॉन मौजूद हैं।
वे लगातार विद्युतीय और रासायनिक सन्देश यहाँ से वहाँ भेज रहे हैं।
पर उनमे से कुछ न्यूरॉन, यहाँ, तुम्हारे मोटर कॉर्टेक्स में,
कुछ सन्देश नीचे भेजेंगे, जब तुम अपने हाथ को हिलओगी।
वे सन्देश तुम्हारे कॉर्पस कॉलोसम से होते हुए
मेरुदंड के रस्ते, तुम्हारे निचले मोटर न्यूरॉन
से माँसपेशियों तक पहुँचेंगे
और उन विद्युतीय तरंगों को पकड़ेंगे
ये दो इलेक्ट्रोड
और फिर हम सुन पाएँगे
कि तुम्हारा दिमाग वास्तव में कर क्या रहा है।
तो, मैं इसे चालू करता हूँ।
कभी अपने दिमाग की आवाज़ सुनी है?
नहीं!
चलो देखते हैं। अब अपनी कलाई मोड़ो।
(गड़गड़ाहट)
तो हमें जो सुनाई दे रहा है,
वो है तुम्हारे मोटर यूनिट, यहाँ से।
चलो इसे देखते भी हैं।
अब मैं यहाँ खड़ा होऊँगा,
और अपना ऐप्प खोलूँगा।
फ़िर से अपनी कलाई मोड़ो।
(गड़गड़ाहट)
यहाँ हैं, वे मोटर यूनिट, जिनके सन्देश
इनके मेरुदंड के रस्ते माँसपेशियों तक,
और जैसे कलाई मुड़ रही है,
आप कुछ विद्युतीय हलचल देख सकते हैं।
यहाँ क्लिक भी कर सकते हैं।
थोड़ा और ज़ोर लगाओ।
यहाँ हमने रोक दिया,
एक मोटर के सिग्नल पर, जो अभी तुम्हारे दिमाग में चालू है।
क्या आप और देखना चाहते हैं?
(तालियाँ)
अब यह और भी दिलचस्प होने वाला है।
मुझे एक और स्वयंसेवक चाहिए।
आपका नाम क्या है, महाशय?
मिगैल।
मिगैल, ठीक है।
तुम यहाँ खड़े रहोगे।
जब तुम अपनी कलाई मोड़ रही हो,
तुम्हारा दिमाग माँसपेशियों को एक सन्देश भेज रहा है।
तुम भी अपनी कलाई मोड़ो।
तुम्हारा दिमाग भी तुम्हारी माँसपेशियों को सन्देश भेजेगा।
ऐसा है, की यहाँ एक नस है,
जो तुम्हारी इन तीन उँगलियों से जुडी है,
और वह चमड़ी के काफी करीब है। इसलिए हम उसे
सक्रिय कर सकेंगे, और तुम्हारे मस्तिष्क
के संदेशों की एक कॉपी बनाकर,
उन्हें इनके हाथ में प्रस्थापित करेंगे
ताकि तुम्हारा हाथ हिलेगा, जब तुम्हारा दिमाग चाहेगा।
एक तरह से, ये तुम्हारी आज़ादी छीन लेंगी,
और तुम्हारा इस हाथ पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।
समझे?
चलो अब इसे लगाते हैं।
(ठहाके)
अब तुम्हारी 'अल्नर' नस ढूंढते हैं,
जो शायद यहाँ कहीं है।
तुम्हे पता था क्या होने वाला था?
जब ऊपर आ रहे थे?
अब मैं पीछे हटकर इसे जोडूँगा,
अपने मनुष्य-मनुष्य उपकरण से।
ठीक है, सैम, फिर से कलाई मोड़ो।
फिर करो। बहुत खूब।
अब मैं तुम्हें भी कनेक्ट कर देता हूँ ताकि --
पहली बार थोड़ा अजीब लगेगा।
लगेगा जैसे -- (ठहाके)
जब स्वतंत्रता छिन जाए, और कोई दूसरा हमें नियंत्रित करे,
थोड़ा अजीब तो लगता है।
अब अपने हाथ को ढीला छोड़ो।
सैम, तैयार हो?
तुम्हे कलाई मोड़नी है।
अभी चालू नहीं किया है, ज़रा कलाई मोड़ो।
तो, तैयार हो मिगुएल?
हाँ, एकदम तैयार!
चालू कर दिया है, कलाई मोड़ो।
कुछ महसूस हुआ? नहीं।
ठीक, फिर से करें? थोड़ा हुआ।
थोड़ा? (ठहाके)
ढीला छोड़ो।
फिर से करो।
(ठहाके)
ओह! बढ़िया, बहुत बढ़िया।
ढीला छोड़ो, फिर से करो।
ठीक है, तो यहाँ,
तुम्हारा दिमाग तुम्हारे हाथ को चला रहा है, और इनके हाथ को भी,
चलो, एक बार और करो।
ठीक है, अतिउत्तम! (ठहाके)
अच्छा, क्या हो अगर मैं तुम्हारे हाथ को हिलाऊँ?
ज़रा ढीला छोड़ो।
क्या हुआ?
कुछ नहीं!
क्यों?
क्योंकि दिमाग ने नहीं किया।
फिर से करो।
चलो, उत्तम है।
धन्यवाद दोस्तों, सहयोग के लिए।
यह चल रहा है दुनिया में--
इलेक्ट्रोफिजिओलॉजी!
न्यूरो-क्रान्ति आने वाली है।
धन्यवाद!
(तालियाँ)