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गुरुदेव, ईश्वर की तरफ जाने की झटपटाहट तो मन में है
पर मन की चंचलता भी नहीं जाती , एसे में क्या करें कि ईश्वर कि तरफ बढ़ चलें ?
चंचलता न जाये तो न जाये महाराज चंचलता तो मन की है हम तो तुम्हारे हैं ...
मन की चंचलता नही जाती उसकी चिंता में पडो ही नहीं!...
चंचलता मिटाने को करोगे तो और कोंदेगा ,
चंचल है तो है नाचे तो नाच भगवान के लिए , गा तो गा भगवान के लिय , रो तो रो भगवान के लिए ,
भाग संसार में तो भाग भगवान के लिए ... लेकिन बाबा क्या करें संसार के लिए भागता है
तो भागने दे संसार के लिए ,.. मेरा क्या है मैं तो भगवान का हूँ भगवान मेरे हैं |
आप भगवान के हो जाओ मन संसार के लिए भाग –भाग कर ..
फ्यूज निकल दोगे तो पंखा घूम –घूम के चुप हो जायेगा |...
आप भगवान के हो जाओ एकदम सरल तरीका है ,
बाकि तो मन को रोकने बैठो के तो ..हमारा ही नही रूकता
तो तुम्हारे को कैसे बताऊंगा ? सीधी बात है ...| नारायण.. �