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बच्चों के रूप में हमे अंधेरे से डर लगता है |
अज्ञात हमें परेशान करता है |
बाहर वहाँ कुछ भी हो सकता है |
विडंबना यह है कि, अंधेरे में रहना हमारा भाग्य है |
पृथ्वी से बाहर आप किसी भी दिशा में बढ़ो
तो, नीले रंग के एक प्रारंभिक दमक के बाद,
आप अन्धकार से घिर जाते हो ,
बस कुछ यहाँ और वहाँ धुंधले तारे नजर आते हैं |
बड़े होने के बाद भी, अँधेरा हमें डराने की शक्ति रखता है |
और यही वो लोग हैं जो लोग कहते हैं कि हमें बारीकी से पूछताछ नहीं करना चाहिए
कि और कौन है जो कि अंधेरे में रह रहा होगा |
वे कहते हैं, बेहतर है कि यह पता न किया जाये |
आकाशगंगा में 400 अरब तारे हैं,
इस भारी भीड़ में से एक,
क्या हमारा ही सूर्य है जिसमे
एक ग्रह है जन्हा जीवन है ?
हो सकता है |
शायद जीवन या ज्ञान का मूल अत्यंत असंभव है |
या, शायद सभ्यताएं हर समय उत्पन्न होती हैं,
पर जैसे ही वो सक्षम होती है, खुद का विनाश कर लेती हैं |
या यहाँ और वहाँ, अंतरिक्ष में फैला हुआ ,
शायद कोई संसार है, कुछ हमारे अपने जैसा ,
जिस पर अन्य प्राणि आश्चर्य करते हों , जिस तरह हम करते हैं कि
और कौन है जो अंधेरे में रहता है |
जीवन एक तुलनात्मक दुर्लभ वस्तु है |
आप दर्जनों दुनिया के सर्वेक्षण करें और पायें कि उनमे केवल एक पर ही
जीवन उत्पन्न होता है और विकसित होता है और कायम रहता है |
अगर हम मनुष्य कभी उस दुनिया में जाते हैं
तो यह एक राष्ट्र,या उनके एक संघ के कारण होगा जो कि
यह मानते है कि यह उनके लाभ के लिए, या मानव प्रजाति के लाभ के लिए किया जाना है |
हमारे समय में,हमने सौर मंडल को पार कर दिया है और चार अंतरिक्ष यान तारों पर भेजा है |
लेकिन हम जीवन की खोज जारी रखेंगे |
जीवन ही जीवन की ओर देखता है |