Tip:
Highlight text to annotate it
X
अपनी पहुँच को बढ़ाना.
स्तेफान गिसर्द को तारों से प्यार है.
ताज्जुब नहीं कि उन्हें उत्तरी चिली से भी उतना ही प्यार है.
यहाँ से हमें दुनियां में ब्रह्मांड का सबसे सुंदर दृश्य जो मिलता है.
तो ये भी ताज्जुब की बात नहीं कि उन्हें यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी से भी उतना ही लगाव है.
- जो यूरोप की आकाश पर सधी आँख है.
स्तेफान एक प्रतिष्ठित फ्रांसीसी फोटोग्राफर व लेखक हैं.
वे 'ईएसओ' के अग्रदूत फोटोग्राफर हैं.
उन्होंने अपने मोहक चित्रों में बखूबी आँका है एटाकामा मरुस्थल के सौंदर्य और नीरवता को,
विराट दूरबीनों के उच्च तकनीकी निपुणता को,
और रात्रि आकाश के वैभव को.
अपने जैसे विश्व के अन्य छायाचित्र दूतों की तरह
स्तेफान भी 'ईएसओ' के सन्देश को प्रसारित कर रहे हैं.
जिज्ञासा, आश्चर्य और प्रेरणा का सन्देश,
जिसका उद्घोष सहयोग और बाहर पहुँच द्वारा हो रहा है.
सहयोग 'ईएसओ' की सफलता की आधारशिला रहा है.
पचास साल पहले,
यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी
का आरम्भ मात्र पांच संस्थापक सदस्यों से हुआ:
बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नेदरलैन्ड्स तथा स्वीडन.
शीघ्र ही दूसरे यूरोपीय देश आ जुड़े.
डेनमार्क 1967 में, इटली और स्विट्जर्लैण्ड 1982 में और पुर्तगाल 2001 में.
फिर यूनाइटेड किन्ग्डम 2002 में.
पिछले दशक में, फिनलैंड, स्पेन, चैक गणराज्य और ऑस्ट्रिया
भी यूरोप के सबसे बड़े खगोलशास्त्रीय संस्थान से आ जुड़े.
अभी हाल में ब्राजील 'ईएसओ' का पन्द्रहवां सदस्य
और यूरोप के बाहर का पहला राष्ट्र बना.
भविष्य में न जाने और क्या होगा.
सभी सदस्य देश विश्व की सबसे बड़ी वेधशालाओं में
खगोलशास्त्र के उच्च अध्ययन के लिए एकजुट है.
ये उनके देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी हितकर है.
'ईएसओ' यूरोप और चिली में उद्योग के साथ घुल-मिलकर सहयोग करती है.
आवागमन के लिए सड़कों का निर्माण होना था.
पर्वत शिखरों को सपाट करना था.
इटली के उद्योग संघ 'एईएस' ने
'वीएलटी' की चार दूरबीनों के मुख्य ढांचे तैयार किये.
प्रत्येक दूरबीन का भार लगभग 430 टन है.
उन्होंने दूरबीन के भवन भी बनाये जो दस मंजिला इमारत जितने ऊंचे हैं.
एक काँच बनाने वाली जर्मन कम्पनी शॉट ने 'वीएलटी' के नाज़ुक दर्पण बनाये
जो आठ मीटर व्यास और केवल 20 सेंटीमीटर मोटाई के हैं.
फ्रांस के REOSC में,
इन दर्पणों को चमकाने का कार्य हुआ जो मिलीमीटर के दस लाखवें भाग की परिशुद्धता से किया गया
- पूर्व इसके कि उन्हें पारनाल की लंबी यात्रा पर भेजा जाता.
इस बीच यूरोप के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में
सुग्राही कैमरे और वर्णक्रममापी विकसित किये गए.
'ईएसओ' की दूरबीनें करदाताओं के धन बनी हैं.
आपके धन से.
इसलिए आप भी इस उत्साह में सम्मिलित हो सकते हैं.
उदाहरण के लिए, 'ईएसओ' की वेबसाइट प्रचुर खगोलीय सूचना का भंडार है.
जिसमें हजारों सुंदर चित्र और विडियो हैं.
इसके अलावा 'ईएसओ' पत्रिकाएं प्रकाशित करती है, प्रेस विज्ञप्तियां जारी करती है,
और विडियो डाक्युमेंटरी बनाती है जैसी एक आप ठीक इस समय देख रहे हैं.
और पूरे विश्व में
'ईएसओ' विज्ञान मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेती है,
ब्रह्माण्ड की खोज में भागीदारी के अनगिनत तरीके हैं.
क्या आप जानते हैं कि 'वीएलटी' की चार दूरबीनों के नाम
चिली की एक बालिका ने सुझाये थे?
17 वर्षीया जोर्सी एल्बनेज़ कास्टिला ने
ये चार नाम दिए थे, अंतु, कुइयन, मेलीपाल और येपुन
जो मापुचे भाषा में सूर्य, चन्द्र, सदर्न क्रॉस और शुक्र के नाम हैं.
जोर्सी जैसे स्कूली बच्चों और छात्रों की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है.
'ईएसओ' अनेक शैक्षणिक कार्यक्रमों में सन्नद्ध है.
जैसे, स्कूली अभ्यास एवं व्याख्यान.
जब 2004 में शुक्र सूर्य के सामने से गुज़रा था,
तब यूरोपीय छात्रों और अध्यपकों के लिए एक विशेष कार्यक्रम बनाया गया.
और 2009 के अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष में
'ईएसओ' विश्व भर में लाखों स्कूली बच्चों और छात्रों तक पहुँची.
आखिर सच ही है कि आज के बच्चे ही तो कल के खगोलशास्त्री हैं.
पर बाहर पहुँच बनाने के इस उपक्रम में ब्रह्मांड का कोई सानी नहीं है.
खगोलशास्त्र एक दृश्य विज्ञान है.
मंदाकिनियों, तारक गुच्छों और तारों की पौधशालाओं को देखकर हमारी कल्पना को पर लग जाते हैं.
जब उनका विज्ञानं के लिए उपयोग न हो रहा हो तब,
कभी कभार 'ईएसओ' की दूरबीनों का उपयोग 'कॉस्मिक जैम्स कार्यक्रम' में होता है
-- केवल शैक्षणिक और जन जागरण के लिए चित्र खींचने में.
कहते हैं कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है.
सामान्य जन इन स्तब्धकारी चित्रों के सृजन में भाग ले सकते हैं.
इसके लिए हमारी 'हिडन ट्रेजर' प्रतियोगिताएं हैं.
रूसी शौकिया खगोलशास्त्री इगोर चेकालिन ने वर्ष 2010 की प्रतियोगिता जीती थी.
उनके अद्भुत चित्र वास्तविक वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित थे.
सदस्य देशों, उद्योग और विश्वविद्यालयों ने
हर स्तर पर सहयोग कर
'ईएसओ' को विश्व की एक सफलतम संस्था बनाया है.
और इसके जन अभियान के तहत आप इस साहसिक उपक्रम से जुड़ सकते हैं.
यह ब्रह्माण्ड आपका आह्वान कर रहा है - कि मुझे खोजो तो जानें.