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भक्त जीन: ठीक है, यह मेरे मन में एक सवाल उठता है, यौर ग्रेस ।
ईसाई धर्म में एक इतिहास रहा है रहस्यवाद का १०० ए डी से अाज तक ।
अब कुछ प्रमुख रहस्यवादी रहे हैं, कुछ प्रमुख रहस्यवादी, और कई तो प्रमुख नहीं हैं ।
अब आप इन लोगों को कैसे वर्गीकृत करते हैं, ये ईसाई रहस्यवादी, प्रोटेस्टेंट और साथ ही कैथोलिक ?
प्रभुपाद: यह कुछ योग रहस्यवाद है । इसका आध्यात्मिक जीवन के साथ कुछ लेना देना नहीं है ।
वे कुछ चमत्कार देखना चाहते हैं, आम तौर पर, साधारण जनता ।
तो यह रहस्यवादी शक्ति, कुछ चमत्कार दिखाअो और उन्हें चकित करो । बस । इसका आध्यात्मिक जीवन के साथ कुछ लेना देना नहीं है ।
भक्त जीन: शायद आप मुझे गलत समझ रहे हैं । मैं वास्तव में भक्ति रहस्यवादीयों का जिक्र कर रही थी
जैसे क्रॉस के सेंट जॉन, असीसी के सेंट फ्रांसिस ।
प्रभुपाद: अगर भक्ति सेवा है, तो वहॉ रहस्यवाद की जरूरत क्या है? कोई जरूरत नहीं है ।
भगवान मेरे मालिक हैं, मैं उनका नौकर हूँ । कहां यह बकवास रहस्यवाद की जरूरत है?
भक्त जीन: मुझे लगता है कि यह शब्द रहस्यवाद, कई लोग इसके साथ खेल रहे हैं, विशेष रूप से यहाँ अमेरिका में ।
प्रभुपाद: इतने सारे लोग, हमें इतने सारे लोगों के साथ कुछ लेना देना नहीं है ।
अगर तुम वास्तव में भगवान के सेवक हो, तो भगवान हैं, तुम नौकर हो ।
तो तुम्हारा लेन - देन है । सिर्फ भगवान के आदेश का पालन करो । बस ।
क्यों तुम रहस्यवाद चाहते हो? बस लोगों को कुछ बाजीगरी दिखाने के लिए?
तुम भगवान की सेवा करो । बस । और यह बहुत साधारण बात है, जो भगवान का आदेश है ।
मन मना भव मद-भक्तो मद-याजी माम नमस्कुरु ( भ गी १८।६५)
रहस्यवाद का कहां सवाल है? रहस्यवाद का कोई सवाल ही नहीं है ।
भगवान कहते हैं "बस हमेशा मुझे याद करो । मुझे प्रणाम करो अौर मेरी पूजा करो ।" बस ।
रहस्यवाद की कहां जरूरत है? यह सब मायाजाल है ।
भारतीय आदमी: मैं कहता हूँ, मुझे लगता है कि एक अवधारणा है......... प्रभुपाद: आप अपने तरीके से सोचो ।
भारतीय पुरुष: नहीं, सर । एक गलत अवधारणा है ... प्रभुपाद: अापकी सोच का कोई अर्थ नहीं है जब तक अाप परम्परा में नहीं अाते हैं ।
भारतीय पुरुष: नहीं, सर । एक गलत अवधारणा है कि रहस्यवाद । वे कहते हैं कि यह आध्यात्मिक उन्नति के साथ आता है ।
मुझे लगता है कि वह यही बताने की कोशिश कर रहा है ।
प्रभुपाद: समस्या यह है कि हम हर जन्म में इस भौतिक संसार में दुख भोग रहे हैं,
और हमारा लक्ष्य है कैसे घर को वापस जाऍ, फिर से वापस देवत्व को ।
वे यह नहीं जानते हैं । वे कुछ रहस्यवाद दिखा रहे हैं ।
क्या वे ... मौत को बंद करो । तब मैं तुम्हारा रहस्यवाद देखूँगा ।
यह बकवास रहस्यवाद क्या है? क्या आप मौत को रोक सकते हैं? क्या यह संभव है?
तो फिर इस रहस्यवाद का अर्थ क्या है? सभी फर्जी ।
मेरी समस्या यह है कि मैं एक शरीर को स्वीकार करता हूँ और पीड़ित हूँ,
क्योंकि जैसे ही मुझे यह भौतिक शरीर मिलता है, मुझे पीड़ित होना पडेगा ।
तो मैं एक और शरीर का निर्माण कर रहा हूँ । मैं मरता हूँ ।
तथा देहान्तर-प्राप्ति: ( भ गी २।१३) । और फिर एक और अध्याय शुरू होता है ।
इस तरह से, इस घास जीवन से देवताओं तक, मैं बस शरीर बदल रहा हूँ और मर रहा हूँ और जन्म ले रहा हूँ ।
यह मेरी समस्या है । तो रहस्यवाद क्या करेगा ?
लेकिन वे नहीं जानते हैं कि समस्या क्या है ।
यह स्पष्ट रूप से भगवद गीता में कहा गया है ।
जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुक्ख-दोशानुदर्शनम ( भ गी १३।९)
यह आपकी समस्या है । आप बार बार जन्म ले रहे हैं और मर रहे हैं,
और जब तक आप जी रह रहे हैं तो कई मुसीबतें हैं ।
जरा-व्याधी । विशेष रूप से बुढ़ापा और बीमारी । तो यह समस्या है ।
क्या रहस्यवाद आपकी मदद करेगा ? रहस्यवाद अापके जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और बीमारी को रोक पाएगा?
तब वह रहस्यवाद है । अन्यथा, इस तरह की बकवास बातों का क्या उपयोग है । (विराम)
... असली रास्ते से गुमराह करना । वे जानते नहीं हैं कि जीवन की समस्या क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या है ।
वे कुछ रहस्यवाद दिखाते हैं, और कुछ बदमाश लोग उनके पीछे पड जाते हैं । बस ।
"यहाँ फकीर है ।"
भारतीय: भक्तों का संग कितना महत्वपूर्ण है?
प्रभुपाद: हाँ । सताम प्रसंगान मम वीर्य सम्विदो भवन्ति ह्रत-कर्ण-रसायना: कथा: ( श्री भ ३।२५।२५)
इसलिए साधु-संग अावशयक है ।
भक्तों का संग । यह ज़रूरी है ।
तब हमारा जीवन सफल हो जाएगा । रहस्यवाद से नहीं ।