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ये 'ईएसओ' प्रसारण है.
अग्रणी विज्ञान और 'ईएसओ' के नेपथ्य की झलकियाँ.
'ईएसओ' यानि द यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी
ब्रह्माण्ड को टटोलते हुए हमारे सूत्रधार डा० जो लिस्क बनाम डा० जे के साथ.
हैलो, स्वागत है आपका 'ईएसओ' प्रसारण के इस विशेष अंक में.
ये आपको 'ईएसओ' की अक्टूबर में पचासवीं वर्षगाँठ तक ले जायेगा.
हम आपके लिए आठ विशेष अंक लेकर प्रस्तुत होंगे जिनमें आप ...
'ईएसओ' के दक्षिण के आकाश के अन्वेषण के विगत पचास गौरवशाली वर्षों की गाथा देखेंगे.
जीवन की खोज.
क्या आपने कभी ब्रह्माण्ड में जीवन के बारे में सोचा है?
दूरवर्ती तारों के गिर्द जीव सृष्टि से ओतप्रोत ग्रह?
सदियों से खगोलशास्त्री इस विषय पर चिंतन करते रहे हैं.
आखिर ब्रह्माण्ड में इतनी सारी मंदाकिनियाँ बिखरी पड़ी हैं और प्रत्येक में ढेर सारे तारे हैं
तो फिर पृथ्वी ही विशिष्ट क्यों?
सन् 1995 में स्विस खगोलशास्त्री माइकेल मेयर और डिडियर क्विलोज़
वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने हमरे सौर मण्डल के बाहर एक सामान्य तारे की परिक्रमारत ग्रह को खोजा.
तबसे ग्रह-खोजियों ने सैकड़ों दूसरे बाह्य ग्रह खोज निकाले हैं.
छोटे-बड़े, गर्म-ठंडे विविध प्रकार के ग्रह.
अब हम पृथ्वी जैसे ग्रहों को बस खोजने ही वाले हैं.
और फिर भविष्य में: ऐसा ग्रह जिसपर जीवन हो - खगोलशास्त्रियों की मृगतृष्णा.
यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी बाह्य ग्रहों की खोज में
प्रमुख भूमिका निभाती है.
माइकेल मेयर के दल ने सेरो ला सिला से सैकड़ों बाह्य ग्रह खोज निकले हैं.
यह स्थान चिली में हमारा प्रथम चरण था.
यहाँ ये कोराली वर्णक्रममापी है,
जो स्विस लियोंहार्ड आयलर दूरबीन पर लगा है.
इसका काम है तारों में हलकी सी लड़खड़ाहट को मापना जो उनके गिर्द घूमते ग्रहों की गतियों के गुरुत्व के कारण उत्पन्न होती है.
'ईएसओ' की सम्मान्य 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन भी इस कार्य में सन्नद्ध है.
इसका हार्प्स वर्णक्रममापी दुनिया भर में सबसे अधिक अचूक है.
इसने अबतक 150 से अधिक ग्रह खोजे हैं.
इसका सबसे बड़ा विजय चिन्ह है
ये पांच से सात बाह्य ग्रहों का समृद्ध 'सौर मंडल'.
पर बाह्य ग्रहों को खोजने के दूसरे तरीके भी हैं
जैसे 1.5 मीटर व्यास की इस डेनिश दूरबीन ने एक दूरवर्ती ग्रह खोजा
वो ग्रह पृथ्वी से पांच गुना वजनी निकला.
कैसे इसे खोजा गया? गुरुत्वीय माइक्रोलेंसिंग के द्वारा.
हुआ यह कि वो ग्रह अपने पितृ तारे के के साथ पृष्ठभूमि के एक बड़े चमकीले तारे के सामने से गुज़रा.
इससे वो आवर्धित हो दिखाई दिया.
कभी कभी तो आप सीधे अपने कैमरे में बाह्य ग्रह को कैद कर सकते हैं.
जैसे, 'वीएलटी' पर लगे 'नाको' नामक एडेप्टिव ऑप्टिक्स वाले कैमरे ने
किसी बाह्य ग्रह की पहली तस्वीर आँकी.
इस चित्र में ये लाल धब्बा एक विशाल ग्रह है जो एक भूरे वामन तारे की परिक्रमा कर रहा है.
वर्ष 2010 में 'नाको' ने एक कदम और आगे बढ़ा.
ये तारा पृथ्वी से 130 प्रकाश वर्ष दूर है.
ये सूर्य से कम उमरदार और चमकीला है, इसके गिर्द चार ग्रह बड़ी कक्षाओं में घूमते हैं,
'नाको' की गिद्ध जैसी पैनी आँख ने इस ग्रह 'स' के प्रकाश को मापा,
यह एक गैसों का बना गुरु से भी दस गुना भारी है,
पितृ तारे के प्रकाश की कौंध के बावजूद
ग्रह के मंद प्रकाश को वर्णक्रम में फैलाना संभव हुआ.
इससे ग्रह के वातावरण के बारे में जानकारी मिली.
आज अधिकांश बाह्य ग्रह उस समय खोजे जाते हैं जब वे अपने पितृ तारे के सामने से गुजरते हैं.
यदि हमारे लिए ग्रह का कक्षातल दृष्टि रेखा पर हो
तो हमें बार बार यह घटना देखने को मिलेगी.
इस प्रकार तारे की चमक में हो रहा बहुत थोड़ा आवर्ती ह्रास
ग्रह की उपस्थिति का भेद खोल देता है.
ला सिल्ला की ट्रापिस्ट दूरबीन इन दुष्प्राप्य संक्रमणों की खोज करेगी.
इसी बीच,
'वीएलटी' ने एक संक्रमण करते ग्रह का अध्ययन बड़ी सूक्ष्मता से किया.
मिलिए GJ1214b से, हमारी अपनी पृथ्वी से 2.6 गुना भारी ग्रह.
संक्रमण के समय ग्रह का वायुमंडल पितृ तारे के प्रकाश का आंशिक अवशोषण करता है.
'ईएसओ' के सुग्राही फौर्स नामक वर्णक्रममापी ने यह पता चलाया था कि
यह ग्रह गर्म और वाष्प से भरे 'सौना' जैसा है.
गैस के बने दैत्याकार ग्रह और इस ग्रह जैसे 'सौना' जगत जीवन के लिए प्रतिकूल हैं.
पर हमारी खोज जारी है.
शीघ्र ही 'वीएलटी' पर एक नया 'स्फीयर' नामक उपकरण लगाया जाने वाला है.
'स्फीयर' में मंद प्रकाश वाले ग्रहों को अपने पितृ तारों की कौंध में ढूंढ लेने की क्षमता होगी.
वर्ष 2016 में एस्प्रेस्सो नामक वर्णक्रममापी 'वीएलटी' में आ जुड़ेगा.
ये हार्प्स नामक उपकरण को भी मात दे देगा.
और जब 'ईएसओ' की अत्यधिक बड़ी दूरबीन तैयार हो जायेगी,
तब हम शायद धरती के परे के अन्य जीवमंडलों के चिन्ह खोज पायें.
पृथ्वी पर जीवन प्रचुर मात्रा में है.
उत्तरी चिली को कुदरत ने गिद्ध, विकुना नामक ऊँट, विज्काचास नामक खरगोश जैसे चूहे और विशाल कैक्टस के पौधे दिए हैं.
यहाँ तक कि अटाकामा मरुस्थल की शुष्क धरती भी बड़े दमदार जीवाणुओं से ओतप्रोत है.
हमने अन्तःतारकीय जगत में जीवन के मूल घटक खोज निकले हैं.
हमने ये भी जान लिया है कि ढेर सारे ग्रह उपस्थित हैं.
अरबों वर्ष पूर्व धूमकेतुओं पृथ्वी पर पानी और जैविक अणु लेकर आये थे.
क्या ऐसा अन्यत्र होने की सम्भावना नहीं है?
अथवा, क्या हम ब्रह्माण्ड में नितांत अकेले हैं?
ये एक बहुत पुराना और बड़ा प्रश्न है.
और इसका उत्तर बस हमारी मुट्ठी में आने ही वाला है.
इसी के साथ मैं डा० जे 'ईएसओ' प्रसारण के इस विशेष अंक से आपसे विदा ले रहा हूँ.
फिर मिलेंगे ब्रह्मांड की खोज के एक और दिलचस्प अभियान के साथ.
'ईएसओ' प्रसारण 'ईएसओ' द्वारा प्रस्तुत किया गया,
'ईएसओ' यानि यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला.
'ईएसओ', यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला,
खगोलशास्त्र की अग्रणी अंतर्शासकीय विज्ञान और तकनीकी संस्था है,
जो सन्नद्ध है विश्व की भूतल स्थित सबसे अत्याधुनिक दूरबीनें बनाने में.
प्रतिलेखन 'ईएसओ', अनुवाद - Piyush Pandey पीयूष पाण्डेय, JNMF, इलाहाबाद