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मुझे याद है मैं विद्यालय से घर रोता हुआ आता था क्यूंकि मुझे वहाँ बहुत चिढ़ाया जाता था। एक दिन,
मुझे १२ बार चिढ़ाया गया और उस दिन मैंने स्वयं से कहा, अगर एक और व्यक्ति मुझे अब चिढ़ाएगा
तब बस मेरे सब्र का बाँध टूट जायेगा। मुझसे अब नहीं सहा जायेगा। इसलिए विद्यालय का समय ख़त्म होते ही,
मैं अपनी व्हीलचेयर में आगे से जा रहा था यह कामना करते हुए की अब मुझे कोई नहीं देख पायेगा, तभी एक लड़की
खेल के मैदान से मेरा नाम पुकारते हुए निकली। "हेल्लो निक, तो तुम यहाँ हो" वह यह कहते हुए सीधे मेरे पास आई।
उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा, "निक, मैं सिर्फ तुमसे यह कहना चाहती हूँ की तुम
आज बहुत अच्छे लग रहे हो।" उसके ऐसा बोलते ही, मुझे अद्भुत महसूस होने लगा। बस यही भावना मुझे चाहिए थी। उस लड़की को बिलकुल नहीं पता था
की मैं कितनी निराशा में था, मैं कितना दुःखी था। और कई बार, रोजमर्रा के
कार्यों में, ऑफिस में, स्कूल में कई बार आपको कैसा महसूस हो रहा है, यह ध्यान नहीं दिया जाता। आप
स्वयं एक नई दृष्टि से देखे, की आप कैसे दूसरों को प्रोत्साहित कर सकते है, उन्हें प्यार कर सकते है, उन्हें यह प्रेरणा दीजिये।