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१३,००० की दूरी में मिट्टी और चट्टानों से बना,
अजगर के तरह फैला हुआ, चीनी ग्रामीण इलाकों को घेरे
इस संरचना का इतिहास उसकी लम्बाई की तरह ही लंबा और घुमावदार है I
इस महान दीवार की शुरुआत मिटटी की छोटी छोटी दीवारो से हुई
जो चंगाई के समय स्वतंत्र सामंती राज्यों द्वारा
उत्तरी चीन के खानाबदोश छापामारों से एक दुसरे की सुरक्षा के लिए बनी थी I
जब महाराजा किन शिई हुआंग ने २२१ ईसा पूर्व में राज्यों को संगठित किया
तो तिब्बत्ति पठार और प्रशांत महासागर प्राकृतिक रुकावट बने
लेकिन उत्तरी पहाड़ मंगोल , तुर्की और क्सीओंगनु
आक्रमणों से असुरक्षित रहे|
उनसे सुरक्षा के लिए
महाराजा ने पूर्ववर्ती राजाओं द्वारा बनायी गयी कुछ छोटी दीवारों
को जोड़ना और कुछ को सुद्रिढ किया I
जैसे जैसे इन संरचनाओं का विस्तार पश्चिम में लिन्ताओ से
पूरब के लिओडोंग की ओर हुआ ,
वे सामूहिक रूप से दीवार की तरह जानने लगे I
इस काम को पूरा करने के लिए
राजा ने सिपाहियों और जनता को चुना
जो हमेशा उनकी स्वेछापूर्वक नहीं था I
क्विं साम्राज्य के दौरान हज़ारों राजगीरों में से सैंकड़ों ऐसे थे
जो जबरदस्ती दर्ज़ किये हुए किसान थे
और कुछ सज़ा भुगतते हुए अपराधी|
हान साम्राज्य के दौरान, ये दीवार
३७०० मील लम्बी होके
दुनहुआंग से शुरू होकर बोहै समुद्र तक पहुँच गयी I
हैन साम्राज्य के अंतर्गत जबरन मजदूरी जारी रहा
और दीवार की प्रतिष्ठा ने कुख्यात आपदा की जगह ले ली|
समसामयिक कवियों और किंवदन्तियों से पता चलता है कि
मजदूरों को नजदीक के सामूहिक कब्रगाहों
या दीवार में ही दफ़ना या चुन्वा दिया गया|
और क्योंकि कोई भी मानवीय अवशेष अंदर नहीं पाया गया,
कब्रों से पता चलता है कि अनेक मजदूरों की मौत
दुर्घटना, भूखमरी और थकावट से हुई I
वह दीवार भयावह थी मगर अजेय नहीं I
जंघीस और उसके बेटे खुबलाई ने किसी तरह तेरहवीं सदी के
मंगोल आक्रमण के समय उस उस पर विजय पाया पर विजय पायाI
इ. १३६८ में मिंग शासन के सत्ता में आने के बाद,
वह दीवार को फिर से ईंटों और स्थनिक
पथ्थरों से दृढ और संघटित करने लगे I
औसतन २३ फुट ऊंची और २१ फूट चौड़ी ये दीवार
५५०० मीलों तक जगह जगह पर निरीक्षण बुर्ज़ों से जोड़ी गयी थी I
जब भी आक्रमणकारी देखे जाते,
आग और धुआँ उन बुर्ज़ों के बीच फैल जाती थी
जब तक सेना न पहुँच जाएI
दीवार के छोटे छिद्र तीरंदाजों को
हमलावरों पर आक्रमण के लिए जबकि बड़े,
पथ्थरों गिराने में काम आते थे I
लेकिन ये नयी और उन्नत दीवार भी काफ़ी नहीं थी I
उत्तरी मंचु कुल ने सन १६४४ में मिंग साम्राज्य को उतार फेंक
मंगोलिया का साथ लेके
क़्विंग साम्राज्य की स्थापना की I
इस तरह दूसरी बार
चीन पर उन्हीं का शासन था जिसे दिवार ने दूर रखने की कोशिश कीI
साम्रज्य की सीमा के महान दीवार से आगे बढ़ने
के कारण किलेबंदी ने अपना उद्देश्य खो दियाI
और बिना नियमित मरम्मत के कारण दीवार घिस के
समतल भूमि बन गयी जब कि ईंट और
पथ्थर घर बनाने के के लिए लूट लिए गए I
मगर यह काम अभी भी बाक़ी था I
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान,
चीन ने इसे जापानी आक्रमण से
सुरक्षा के लिए प्रयोग कियाI अफ़वाह है कि कुछ हिस्से अभी भी
सैनिक प्रशिक्षण में उपयोग हो रहे है मगर अब दीवार का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक हैI
धरती पर सबसे बड़े मानव निर्मित संरचना होने के कारण,
यूनेस्को द्वारा १९८७ ई. में इसे विश्व के धरोहर का दर्ज़ा दिया गया I
मूलतः जो लोगों को चीन से दूर रखने के लिए बनायी गयी थे,
आज वह दीवार प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों का स्वागत करती है
असल में , पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही से ख़राब होती हुई दीवार की
स्थिति के कारण सरकार को परिरक्षण पहल की शुरुआत करनी पर है i
अक्सर इसे अंतरिक्ष से दिखता एकमात्र मानव निर्मित संरचना
माना जाता हैI दुर्भाग्यवश, यह सच नहीं है I
पृथ्वी की निम्न कक्षा में, सभी प्रकार की संरचनाए,
जैसे पुल, राजमार्ग और हवाईअड्I दिखाई देते हैं
और यह महान दीवार नाममात्र ही दिखता है I
चाँद से तो दिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता है I
कुछ भी हो मगर हमें इस धरती के बारे में पढ़ना ही चाहिए
क्योंकि अभी भी प्रत्येक वर्ष नयी धाराओं की खोज हो रही है, नए अंशों
की शाखाएँ मुख्य स्वरुप से निकल विस्तृत
करती हुई उत्कृष्ठ संरचनाओं को मानवीय उपलब्धियों के लिए I