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बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उल्लंघन पर इस वर्ष केंद्रित किया गया
धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर खास प्रतिवेदक की रिपोर्ट का स्वागत करता है।
श्री बिएलफ़ेल्ड ने ऐसे देशों के बारे में चिंता व्यक्त कि के जहाँ "मान्य धर्मों" के अलावा अन्य धर्मों को
मानें इंसनो के मानवाधिकारों का आधार नही किया जाता है. वस्तव में, मानवाधिकार
"चंद चुने हुए पूर्व व्यखित जनसमूहों का ही आरक्षित विशेषाधिकार" नही मना जा सकता"।
खास प्रतिवेदक के उल्लेख में दिया हुए तीन उदाहरण ईरान से संबंधित है । उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि
बहाईयों को इस देश में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश निषेध है और समुदाय के सात पूर्व नेताओं को
हिरासत में लिया गया है और 20 साल कैद की सजा सुनाई गई है -- जो
ईरान में विवेक के किसी भी कैदी को दिया हुआ सबसे लंबे समय तक की सजा है। हम यह बात जोड़ना चाहते हैं कि
कैद में बहाई सदस्यों की संख्या पिछले दो साल में दोगुनी हो गई है, जो 2012 के दौरान 100 से अधिक रहीं हैं।
इसी समय, बहाईयों की जीविका के सभी साधन नष्ट करने के प्रयास में, उन को, काम पाने का अधिकार से
वंचित कर दिया गया है। सरकार उन्हें और उनके विश्वासों के खिलाफ मीडिया में और अन्यत्र कहीं घृणा फैलाने में डटे है
और बहाईयों के घरों, दुकानें और कब्रिस्तान पर
हिंसक हमला करने वालों को कुल माफी देने के लिए जारी है।
बहाई के उत्पीड़न विशेष रूप से तीव्र है, लेकिन ईरान सरकार अन्य
अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों के सदस्यों के अधिकारों का भी उल्लंघन किया है। पिछले एक अवसर पर
बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ईसाइयों के उत्पीड़न के खिलाफ उठ खड़ है। लेकिन जैसे कि श्री बिएलफ़ेल्ड
की रिपोर्ट में कहा गया है, आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त धर्मों के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों
पर भी उल्लंघन लक्ष्य है। ईरान में, यह बात मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों जैसे कि सुन्नी, सूफी
और कुछ शिया धार्मिक नेता जैसे कि अयतोल्लह बोरौजेर्दि (और उनके अनुयायि) पर लागू होता है।
अतः हम यह आशा करते है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दायित्वों को पूरा करने के लिए परिषद ईरान
को आवाहन करे। ईरान, पूरी तरह से, अपने नागरिकों को सत्ता के कुछ लोग से अलग विश्वासों को धारण
करने की अधिकार को स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने देना चाहिए।