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Translator: Sujata Krishna Reviewer: Rajneesh Pandey
जब मुझे यह करने के लिए कहा गया तब मैंने फैसला किया,
कि मैं सच में जिस बारे में बोलना चाहता था
वह मेरे दोस्त रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में था |
मै उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूँ
जो वाकई उन्हें जानते थे
और उनके साथ में आनादित होते थे
मै उस रिचर्ड फेय्न्मन के बारे में बताऊंगा जिन्हें मैं जानता था
मुझे पता है यहाँ ऐसे और लोग होंगे
जो उस रिचर्ड फेय्न्मन्न के बारे में बता सकते हैं जिन्हें वो जानते थे
और शायद वो अलग रिचर्ड फेय्न्मन्न हो
रिचर्ड फेय्न्मनएक जटिल आदमी थे
उनके कई, कई अंश थे
सबसे पहले वो
एक बहुत, बहुत महान वैज्ञानिक थे
वो एक अभिनेता थे, उनके अभिनय आपने देखे हैं.
मैं उन व्याख्यानों में भी भी सौभाग्य से शामिल था.
ऊपर बालकनी में.
वह विलक्षण थे
वह एक दार्शनिक थे
वो ड्रम बजाया करते थे
उनके पढ़ाने का ढंग अत्युत्तम था
रिचर्ड फेय्न्मन एक शोमैन भी थे
एक बड़ा शोमैन
वह ढीठ था, असभ्य
वह काफी शक्तिशाली थे ,
वो किसी से अकेले ही भिड ले इस प्रकार के यौवनशील थे |
उसे बौद्धिक लड़ाई से प्यार था.
उसका अहंकार विशाल था
मगर किसी तरह उस आदमी में
खुद से कम लोगों के लिए बहुत जगह थी
मेरा कहने का मतलब यह है
बहुत सारी जगह, मेरे किस्से में,
मैं किसी और के लिए बोल नहीं सकता
लेकिन मेरे सिलसिले में
एक और विशाल अहंकारी के लिए जगह थी
उनके जीतनी बड़ी नहीं,
मगर काफी बड़ी.
दिक फेय्न्मन के सांथ मुझे हमेशा अच्चा लगता था.
उनके साथ हमेशा मजा आता था.
उनके साथ मैं अपने आप को होनहार महसूस करता था.
ऐसा आदमी आपको कैसे बुद्धिमान महशूस करा सकता है ?
किसी तरह उनमे यह क्षमता थी.
उन्होंने मुझे बुद्धिमान महसूस कराया | उन्होंने मझे महशूस कराया कि वो बुद्धिमान थे |
उन्होंने मुझे अहसास कराया कि हम दोनों बुद्धिमान थे |
और हम दोनों किसी भी समस्या का समाधान कर सकते थे |
और कभी-कभी हमने साथ में भौतिक विज्ञानं पर काम किया |
हमने कभी कोई शोध कार्य सांथ में प्रकाशित नहीं किया
मगर हमने सांथ में काफी मजे किये |
उनको जीतना बहुत पसंद था.
कही-कभी हम शक्ति प्रदर्शन के खेल खेला करते थे ,
सिर्फ मेरे साथ नहीं, हर प्रकार के लोगों के संग -
तो वो हमेशा जीता करते थे |
जब नहीं जीतते थे , जब हार जाते थे
तो हंस देते, जैसे उतना ही मजा आ रहा हो
जैसे वो जीत गए हों |
मुझे याद है एक बार उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई थी,
एक मजाक के बारे में, जो उनके छात्रों ने उनके सांथ किया था |
वो उन्हें ले गए - शायद उनके जनम दिन पर -
बाहर भोजन के लिए |
वो उनको भोजन के लिए लेकर गए
पासादेना में किसी सेंडविच की दुकान पर
मुझे नहीं मालूम शायद वह दुकान अभी भी हो |
सेलिब्रिटी सैंडविच उनकी खासियत थी |
आप मर्लिन मुनरो सेंडविच ले सकते थे |
हम्फ्रे बोगार्ट सेंडविच ले सकते थे.
उनके छात्र पहले से ही वंहा थे |
उन्होंने तय किया था की वे सब फेय्न्मन सेंडविच लेंगे.
एक के बाद एक वे अन्दर आये और उन्होंने फेय्न्मन सेंडविच माँगा |
फेय्न्मन को यह कहानी बहुत पसंद थी |
उन्होंने मुझे यह कहानी सुनाई, और वो काफी खुश थे |
जब कहानी ख़तम हुई तब मैंने कहा
डिक, फेय्न्मन संविच और सुसस्किंद संविच
में क्या अंतर होगा?
और तुरंत उन्होंने कहा
लगभग एक जैसे ही होंगे
फर्क सिर्फ इतना है की सुस्स्किंद संविच में बहुत ज्यादा हैंम होगा
हैंम, जैसे बुरा अभिनेता
(हंसी)
उस दिन मैं बहुत तेज था
और मैंने कहा ' हाँ, पर बहुत कम बलोनी!' (बलोनी याने बकवास)
(हंसी)
सच तो यह है
की फेय्न्मन सेंडविच में
बहुत हैम है,
बलोनी बिलकुल नहीं.
फेय्न्मन को सबसे बुरी चीज़
बौद्धिक दिखावा लगती थी.
ढोंग,
झूठी परिष्कार, शब्दजाल.
मुझे याद है, कही अस्सी के दशक में
मध्य अस्सी
डिक, मैं और सिडनी कालेमन,
कई बार मिले
संफ्रंसिस्को के किसी अमीर आदमी के घर में
खाना खाने के लिए
और पिछली बार जब उसने बुलाया था
तो उसने दो दार्शनिकों को भी बुलाया था.
वो मन के दार्शनिक थे.
उनकी खासियत थी चेतना.
वो हर प्रकार के शब्दजाल इस्तेमाल करते
मैं शब्द याद करने की कोशिश कर रहा हूँ
वेदांत, द्वैतवाद, हर प्रकार की श्रेणियाँ
मैं उनका मायने नहीं जनता था, ना दिक जनता था
और सिडनी भी नहीं
तो हम क्या बोलते?
खैर, मन के बारे में बात करो तो क्या बोलो?
एक बात तो स्पष्ट है
क्या मशीन मन बन सकती है?
क्या आप कोई ऐसी मशीन बना सकते हैं
जो मनुष्य जैसे सोचे?
जो सचेत हो?
बैठ कर हमने यह बातें कीं, कोई निष्कर्ष पर नहीं पंहुचे
पर दार्शनिकों के साथ यह दिक्कत है
की वो इसे भी दर्शन शास्त्र की तरह देख रहे थे
जबकी उन्हें विज्ञानं के बारे में विचार करना चाहिए
आखिर यह विज्ञान का सवाल है
ऐसा करना एक बहुत, बहुत ख़तरनाक काम था
वो भी दिक् फेय्न्मन की सामने.
फेय्न्मन ने उनको दे दिया - दोनों बैरल, ठीक आँखों के बीच
क्रूर था, बहुत मजे का था...ओह क्या मजे का था!
मगर था क्रूर
उनका गुब्बारा फट गया
लेकिन कमाल की बात यह है
फेय्न्मन को थोड़े जल्दी जाना था
उनकी तबियत ठीक नहीं थी, थो उन्हें जल्दी जाना था
और सिडनी और मैं उन दो दार्शनिकों के साथ छूट गए
और कमाल की बात यह है की वो तो हवा में उड़ रहे थे
इतने खुश
कि जैसे किसी महान आदमी से मिल रहे हों
किसी महान व्यक्ति ने जैसे उन्हें निर्देश दिए हों
उन्हें बहुत मजा आया था
अपना मुह काला करके
यह कुछ ख़ास था
मुझे महसूस हुआ कितने असाधारण थे फेय्न्मन
ऐसे समय भी जब उन्होंने ऐसा किया
दिक् मेरा दोस्त था, मैं उसे दिक् कहता था
दिक् और मेरा मेल था
हो सकता है डिक्क और मेरा ख़ास संबंध था
हम एक दूसरे को पसंद थे, हमे एक सी चीजें पसंद थीं.
मुझे बौद्धिक खेल भी पसंद थे
कभी मै जीतता था , ज्यादा तर वो ही जीता करता था
पर मजा दोनों को आता था
किसी समय दिक् आश्वस्त हो गया
की हममें व्यक्तित्व समानता है
मुझे नहीं लगता की वो सही था.
मुझे लगता है हम दोनों में सिर्फ इतनी समानता है
की हमे अपने बारे में बात करना पसंद है!
मगर वो इस के प्रति आश्वस्त थे
और वह उत्सुक था
वो आदमी बेहद उत्सुक था
उनको समझना था क्या है, क्यों है
की ऐसा अजीब संबंध था
एक दिन हम साथ चल रहे थे, फ्रांस में.
हम ला जौचे में थे
ऊपर पहाड़ों में थे हम, 1976.
पहाड़ों में ऊपर थे और फेय्न्मन ने मुझसे कहा
लेओनार्दो
लेओनार्दो बुलाने की वजह यह थी,
की हम यूरोप में थे
और वह फ्रेंच अभ्यास कर रहा था
उन्होंने कहा, "लेओनार्दो,
तुम अपने माता या पिता, किसके ज्यादा करीब थे
बचपन में?
और मैंने कहा "मेरे असली हीरो पिताजी थे".
वह एक काम करने वाले आदमी थे
पांचवी कक्षा तक पढ़े थे |
वह एक मास्टर मैकेनिक था और उसने मुझे सिखाया कि उपकरणों का उपयोग कैसे हो.
उन्होंने मुझे औजार उपयोग करना सिखाया.
उन्होंने मुझे पयेथागोरस प्रमेय भी सिखाया.
उन्होंने उसे कर्ण नहीं कहा
उन्होंने उसे शॉर्टकट बुलाया".
और फेय्न्मन की आँखें एकदम खुल गयीं
एक प्रकाश बल्ब की तरह
उन्होंने कहा कि
बिलकुल वैसे ही सम्बन्ध उनका
अपने पिता से था |
एक समय वो आश्वस्त हो गए थे
कि अच्छा भौतिक विज्ञानी होने के लिए
यह बहुत महत्वपूर्ण था
कि आप के पिता से आपके वैसे सम्बन्ध हों |
मैं सेक्सिस्ट बातचीत के लिए माफी माँगता हूँ,,
मगर ऐसा ही हुआ था |
उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह आश्वस्त थे कि यह जरूरी था -
एक युवा भौतिक विज्ञानी के बचपन का आवश्यक हिस्सा.
और क्योंकि वो दिक् थे इसलिए वो इसे परखना चाहते थे |
वो एक प्रयोग करना चाहते थे |
तो ऐसा ही किया
उन्होंने एक प्रयोग किया
उन्होंने अपने सभी अच्छे भौतिक विज्ञानियों से पूछा
तुम्हारी माँ या पिता तुम किससे प्रभावित थे?
और हर आदमी - सब आदमी ही थे -
हर एक आदमी
ने कहा "माँ"
(हंसी)
यह ख्याल सीधे एतिहास के कचरे के डब्बे में गया |
मगर वो उत्तेजित थे कि आखीर कोई मिला
जिसका वैसा ही सम्बन्ध रहा अपने पिता से
जैसा उनका था |
और कुछ समय तक वो आश्वस्त थे
की इस वजह से ही हमारी दोस्ती थी
मुझे नहीं पता, शायद, कौन जानता है ?
पर मैं आप को कुछ बताता हूँ
भौतकी विज्ञानी फेय्न्मन के बारे में |
फेय्न्मन का इस्टाइल
- नहीं इस्टाइल सही शब्द नहीं है -
इस्टाइल से आपको लगता होगा वो जिस प्रकार टाई पहनते थे
या जिस प्रकार का सूट पहनते थे |
इससे कंही अहम् बात है,
मगर मैं दूसरा शब्द नहीं सोच पा रहा हूँ
फेय्न्मन का वैज्ञानिक ढंग
हमेशा किसी समस्या के समाधान के लिए सबसे प्रारंभिक
तरीके पर कार्य करने का था
अगर उससे मुमकिन न था, तो किसी जटिल समाधान के बारे में सोचते थे .
बेशक इसमें
उन्हें यह दिखाने में बहूत ख़ुशी होती थी
कि कैसे वो दूसरों से अधिक सरलता से सोच सकते थे
उन्हें गहरा विश्वास था, सच में विश्वास था
कि अगर कुछ सरलता से नहीं समझा सकते
तो फिर आप ने उसे समझा ही नहीं |
१९५० में लोग यह पता लगा रहे थे
की सुपेर्फ्लुइड हेलियम कैसे काम करता है
एक सिद्धांत था
रूस के गणितीय भौतिक विज्ञानी द्वारा दिया हुआ
एक जटिल सिद्धांत
वह मैं अभी आप को बताता हूँ
बहुत जटिल सिद्धांत था
बहुत मुश्किल सूत्रों से भरा
और गणित वगरह
थोडा काम करता था, मगर पूरी तरह से नहीं
काम सिर्फ तब करता था,
जब हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी हो
हेलियम परमाणुओं में बहुत दूरी जरूरी थी
मगर अफसोस की तरल हेलियम परमाणु
बिलकुल एक के ऊपर एक हैं
फेय्न्मन ने सोचा की एक शौकिया हेलियम भौतिक विज्ञानी
होकर वे उसे समझना चाहेंगे
उनका विचार था, एकदम साफ विचार,
कि वो यह समझने का प्रयत्न करेंगे कि
इतने सारे एक जैसे परमाणुओं का
क्वांटम समारोह क्या है
वो इसकी कल्पना
कुछ सिद्धांतों के द्वारा निर्देशित
कुछ बहूत ही सरल सिधान्तों द्वारा करने का प्रयत्न करेंगे |
पहला था कि
जब हीलियम अणु एक दुसरे के संपर्क में आते ही दूर चले जाते हैं
निष्कर्ष यह था कि उनका wave function शुन्य होगा जब
हीलियम अणु एक दुसरे को स्पर्श करते हैं |
अन्य तथ्य यह था
की सबसे काम ऊर्जा की स्थिति में
wave function शुन्य नहीं होता |
उसमे सबसे कम हलचल होता है .
तो वो बैठे -
मेरे ख्याल में उनके पास सिर्फ
एक कागज का टुकड़ा और कलम थे जिससे
उन्होंने लिखने की कोशिश की, और लिखा
सबसे सरल प्रमेय जो वह सोच सकते थे
जिसमे कुछ सीमा शर्ते थी |
wave function शुन्य हो जाता है जब चीजें स्पर्श करती हैं
पर उसके पहले यह समतल होता है
उन्होंने एक साधारण बात लिखी
वह बहूत सरल था
जिसे एक हाई स्कूल का विद्यार्थी भी
बिना किसी गणना के
समझ लेता जो उन्होंने लिखा.
उन्होंने जो लिखा वह इतना सरल था
कि उससे तरल हीलियम के बारे में उस समय जो भी मालूम था
सब स्पस्ट हो जाता था |
में हमेशा सोचता था
कि जिनका भौतिकीय वैज्ञानिक जो तरल हीलियम पर कार्य करते थे
क्या वो शर्मिंदा हुए होंगे |
उनके पास उनकी सबसे शक्तिशाली तकनीक थी ,
और वो इससे बेहतर नहीं कर पाए
संयोग से, में आपको बता दूँ वह तकनीक क्या थी
वेह थे फेय्न्मन तकनीकी चित्र थे
(हंसी)
उन्होंने १९६८ में फिर दोहराया
१९६८ में, मेरे ही विश्वविद्यालय में,
उस समय मैं वंहा नहीं था, १९६८ में,
वो लोग प्रोटॉन की संरचना की खोज कर रहे थे
प्रोटॉन तो साफ है कि
कई छोटी चीजों से बना है.
इतना तकरीबन पता था.
और उसका विश्लेषण फेय्न्मन चित्र से होता था.
उसी के लिए फेय्न्मन चित्र बने थे
कण को समझने के लिए
प्रयोग जो हो रहे थे वो बहूत ही सरल थे
आप सिर्फ एक प्रोटान लेकर
उसे एक इलेक्ट्रॉन के साथ तेजी से टकराते हैं |
उसके लिए थे फेय्न्मन चित्र थे |
सिर्फ एक कठिनाई थी
कि फेय्न्मन चित्र बहुत जटिल हैं
उसमे काफी जटिलता है |
अगर आप उन्हें कर सकते थो आप के पास एक सटीक ज्ञान होगा |
मगर यह संभव नहीं था, वो बहुत जटिल थे
लोग कोशिश कर रहे थे
आप एक पाश चित्र कर सकते थे,
एक, दो, या तीन पाश चित्र कर सकते थे
मगर उनके आगे कुछ नहीं कर सकते थे |
फेय्न्मन ने कहा "भूल जाओ उसको,
सिर्फ प्रोटान के बारे में सोचो
एक छोटे कणों की जमघट के रूप में
छोटे कणों का एक झुंड
उन्होंने उसे प्रोटान कहा |
उन्होंने कहा "बस सोचो यह प्रोटान का झुण्ड है
जो तेजी से बढ़ रहे"
क्योंकि वह तेजी से बढ़ रहे हैं
सापेक्षता का कहना है कि आंतरिक गति बहुत धीमी गति से चलते हैं.
इलेक्ट्रॉन इसे अचानक टकराता है
यह एक प्रोटॉन की एक बहुत ही अचानक स्नैपशॉट लेने की तरह है
आप क्या देखते हो ?
परतों में जमा हुआ प्रोटान का एक गुच्छा |
वो हिलते नहीं हैं , और क्योंकि हिलते नहीं हैं
तो प्रयोग के दौरान
आपको इस बात की फ़िक्र करने की जरुरत नहीं की वो हिलते कैसे हैं |
आप को उनके बीच के तनाव के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है |
आप इसे सिर्फ इस तरह सोचो
कि यह समूह है
जमे हुए परतों की
यह इन प्रयोंगो के विश्लेषण की महत्वपूर्ण बात थी |
अत्यंत प्रभावी
किसी ने कहा क्रांति बुरा शब्द है.
शायद हो, तो में क्रांति नहीं कहूँगा
पर निश्चित रूप से इससे
हमारी प्रोटोन की समझ में बहूत ज्यादा विकास हुआ
और उससे भी छोटे कणों को समझने में |
वैसे मेरे पास और भी कुछ था जो मैं बताने वाला था
मेरे और फेय्न्मन के रिश्तों के बारे में
वो कैसे थे,
मगर हमारे पास ठीक आधा मिनट है
मै अब समाप्त करता हूँ यह कह कर
कि मुझे नहीं लगता फेय्न्मन को ऐसा समारोह अच्छा लगता
मेरे ख्याल में वो कहते
" मुझे इसकी जरूरत नहीं है"
पर हम फेय्न्मन का आदर कैसे करें?
सच में उनका आदर सम्मान कैसे करें?
मेरे ख्याल में फेय्न्मन का आदर करने के लिए
हमें बहूत सारा बलोनी (बकवास)
अपने सेंडविच से निकाल देना चाहिए |
धन्यवाद
(तालियाँ)