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"रोम तथा सम्पूर्ण विश्व के मेरे प्रिय भाइयो और बहनो,
ख्रीस्त ने हमारे लिये जन्म लिया है।
स्वर्ग में ईश्वर की महिमा और पृथ्वी पर प्रभु के कृपा पात्रों को शान्ति।
सभी लोग बेथलेहेम के इस सन्देश की प्रतिध्वनि सुनें जिसे काथलिक कलीसिया, प्रत्येक महाद्वीप में
हर राष्ट्र, भाषा एवं संस्कृति की सीमाओं के परे दुहराती है।
कुँवारी मरियम के पुत्र ने प्रत्येक व्यक्ति के लिये जन्म लिया है,
वे सबके मुक्तिदाता हैं।
एक प्राचीन धर्मविधिक गीत में इस प्रकार उनका का आह्वान किया जाता हैः
"ओ, इम्मानुएल, हमारे राजा और विधिकर्त्ता,
लोगों की आशा एवं मुक्तिः
”. हे प्रभु हमारे ईश्वर, हमें बचाने आओ।"
वेनी आद साल्वान्दुम नोस!
हमें बचाने आओ!
यही है वह पुकार जिसे प्रत्येक युग के स्त्री एवं पुरुष लगाते रहे हैं, क्योंकि वे महसूस करते हैं कि अपने आप वे, कठिनाइयों एवं ख़तरों को पार नहीं कर सकते हैं।
आवश्यकता है कि वे अपने हाथों को किसी महान एवं मज़बूत हाथ के सिपुर्द कर दें,
ऐसे हाथ के सिपुर्द जो ऊपर से उन तक पहुँचता है।
प्रिय भाइयो और बहनो, यह हाथ है येसु का जिन्होंने कुँवारी मरियम से बेथलेहेम में जन्म लिया।
यही है वह हाथ जिसे ईश्वर मानजाति तक की ओर बढ़ाते हैं
ताकि हमें पाप के कीचड़ से निकाल सकें तथा मज़बूती से चट्टान पर रख सकें,
उनके सत्य एवं उनके प्रेम की सुरक्षित चट्टान पर (दे. स्तोत्र ग्रन्थ 40:2)।
यह है बेथलेहोम में जन्में बालक के नाम का अर्थ, वह नाम जिसे, ईश इच्छा के अनुकूल, मरियम एवं योसफ ने उन्हें दियाः
वे येसु नाम से पुकारे गये, जिसका अर्थ है "मुक्तिदाता" (दे.मत्ती 1:21; लूक 1:31)।
वे पिता परमेश्वर की ओर से, गहन बुराई से हमें बचाने के लिये प्रेषित किये गये थे
उस बुराई से जो मानव एवं इतिहास में जड़ पकड़ चुकी थी: ईश्वर से जुदाई की बुराई,
इस अहंकारी अनुमान की बुराई कि हम आत्मनिर्भर हो गये हैं, ईश्वर से प्रतिस्पर्धा तथा उनकी जगह लेने के प्रयास की बुराई,
भले-बुरे का फैसला करने की बुराई,
जीवन और मृत्यु के स्वामी होने की बुराई (दे. उत्पत्ति 3: 1-7)।
यही है महाबुराई,
वह महापाप जिससे हम मानव प्राणी ख़ुद को अपने आप मुक्त नहीं कर सकते जब तक कि हम ईश्वर की सहायता पर निर्भर न हो जायें,
जब तक कि हम उन्हें न पुकारें: "वेनी आद साल्वान्दुम नोस, - हमें बचाने आओ।"
"स्वर्ग की ओर इस तरह पुकार लगाना,
अपने आप ही हमें सही स्थिति में डाल देता है,
यह हमें अपने आप के सत्य से रुबरू करती है:
हम वास्तव में वे हैं जिन्होंने ईश्वर को पुकारा और जिनका उद्धार किया गया (दे. एस्त 10:3 एफ)।
ईश्वर मुक्तिदाता हैं;
हम वे हैं जो मुसीबतों में पड़े हैं।
वे चिकित्सक हैं; हम बीमार।
उन्हें पहचानना ही मुक्ति की दिशा में पहला कदम है,
उस भूलभुलैया से निकलने हेतु उठाया गया कदम जिसपर हमारे घमण्ड के कारण ताला पड़ गया है।
स्वर्ग की ओर अपनी आँखें उठाना, अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाना तथा सहायता के लिये पुकारना ही हमारे बाहर निकलने का रास्ता है
बशर्ते कि वहाँ कोई है जो हमें सुने तथा हमारी सहायता को आगे आये।
येसु ख्रीस्त यह सबूत है कि ईश्वर ने हमारी पुकार सुन ली है।
केवल यही नहीं!
हमारे प्रति ईश्वर का प्रेम इतना अगाध है कि वे अलग नहीं रह सकते,
वे स्वतः से बाहर निकल कर हमारे बीच प्रवेश करते तथा पूर्ण रूप से हमारी मानवीय स्थिति को धारण कर लेते हैं (दे. निर्गमन 3:7-12)।
हमारी पुकार जिसका प्रत्युत्तर ईश्वर ने प्रभु येसु में दिया, सदा सर्वदा के लिये हमारी उम्मीदों के परे है,
वह एक ऐसी एकात्मता को उपलब्ध करती है जो सिर्फ मानवीय नहीं बल्कि ईश्वरीय भी है।
ईश्वर जो प्रेम हैं तथा प्रेम जो ईश्वर है केवल वही, इस मार्ग के द्वारा हमारे उद्धार का चयन कर सकता था, यह निश्चित्त रूप से सबसे अधिक लम्बा मार्ग है,
परन्तु वह मार्ग है जो उनकी और हमारी सच्चाई का सम्मान करता है:
पुनर्मिलन, सम्वाद और सहयोग का मार्ग।
इसलिये, रोम तथा समस्त विश्व के भाइयो एवं बहनो,
सन् 2011 के इस क्रिसमस पर, हम बेथलेहेम के शिशु और कुँवारी मरियम के पुत्र के प्रति अभिमुख होवें तथा कहें:
"हमें बचाने आओ।"
इस पुकार को हम उन अनेक व्यक्तियों के साथ आध्यात्मिक रूप से जुड़कर दुहरायें जो विशिष्ट कठिन परिस्थितियों में जी रहे हैं,
इस प्रकार हम उनकी आवाज़ बनें जिनकी कोई आवाज़ नहीं है।
"एकसाथ मिलकर हम हार्न ऑफ अफ्रीका के लोगों के लिये ईश्वर की सहायता की याचना करें
जो भूख तथा भोजन के कमी से पीड़ित हैं तथा निरंतर जारी असुरक्षा की स्थिति से और अधिक बढ़ जाती है।
उन क्षेत्रों से आनेवाले अनेकानेक विस्थापितों तथा अपनी प्रतिष्ठा पर प्रहार होते देखनेवाले लोगों को सहायता देने में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, विफल न हो।
प्रभु, दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों को सान्तवना दें
विशेष रूप से थाईलैंड एवं फिलिपिन्स जो हाल के प्रकृतिक प्रकोप के परिणामस्वरूप अभी भी गम्भीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।"
"आज भी पृथ्वी को रक्त से रंजित करनेवाले इतने सारे संघर्षों से घिरे हमारे विश्व की सहायता को, प्रभु आयें।
शांति के राजकुमार उस भूमि को शांति का वरदान दें जिसे उन्होंने अपने जन्म के लिये चुना था
वे इसराएलियों एवं फिलीस्तीनियों के बीच वार्ता की बहाली को प्रोत्साहित करें।
प्रभु, सिरिया में हिंसा को समाप्त करायें जहाँ बहुत अधिक रक्त बहाया चुका है।
ईराक तथा अफ़गानिस्तान में, पूर्ण पुनर्मिलन एवं स्थायित्व को प्रोत्साहित करें।
लोकहित की दिशा में विकास का प्रयास कर रहे उत्तरी अफ्रीका एवं मध्य पूर्व के सब देशों में, वे, समाज के सभी तत्वों को नवीकृत उत्साह प्रदान करें।
मुक्तिदाता का जन्म, साझा समाधान की खोज हेतु म्यानमार में वार्ताओं एवं सहयोग की सम्भावनाओं को समर्थन प्रदान करें।
अफ्रीका के ग्रेट झील क्षेत्र के देशों के लिए, मुक्तिदाता का जन्म, राजनैतिक स्थिरता सुनिश्चित करे
तथा सब नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता में दक्षिणी सूडान के लोगों की सहायता करें।
प्रिय भाइयो और बहनो, एक बार फिर हम अपनी दृष्टि बेथलेहेम के गऊशाले की ओर लगायें।
जिस शिशु पर हम चिन्तन करते हैं वे हमारे मुक्तिदाता हैं।
वे विश्व में पुनर्मिलन और शांति का सन्देश लेकर आये हैं।
उनके प्रति हम अपने मन के द्वारों को खोलें,
अपने जीवन में हम उन्हें ग्रहण करें।
हर्ष और विश्वास के साथ एक बार फिर हम उनसे कहेः "वेनी आद साल्वान्दुम नोस।"