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श्री हरी प्रभु - चालू सत्संग में जब मन निसंकल्प अवस्था में विषयों से उपराम होकर आने लगता हैं
तो प्रायः निद्रा का व्यवधान क्यों होने लगता हैं और इसका निराकरण कैसे हों प्रभु ?
निद्रा का व्यवधान क्यों होता हैं कि शरीर में थकान होती हैं तो निद्रा का व्यवधान होता हैं
अथवा तो भीतर का रस नहीं मिलता तब व्यवधान होता हैं तो इसमें निद्रा ठीक ले लू ,
नहीं तो थोड़ी निद्रा आती हैं तो डरो मत , निद्रा के बाद फिर शांत हो जाऊ,
व्यवधान नहीं हैं निद्रा भी चिंतन करते करते थोडा निद्रा में चले गए , थक मिटेगा तो फिर चिंतन में चले आओ ,
इतना परिश्रम नहीं करो की साधन में बैठे की निद्रा आ जाये और
इतना जागो मत की निद्रा की कमी रहे और इतनी निद्रा कम मत करो ,
इतनी निद्रा ज्यादा मत करो की भगवान में शांत होने का समय न मिले !
ठीक से नींद करो ठीक से ध्यान भजन का समय निकालो
और रूचि भगवान् में होगी प्रीति तो निद्रा नहीं आएगी और थकान होगी तो भी निद्रा आएगी
थकान भी न हो और थकान है निद्रा आती है तो अच्छा ही है स्वास्थ्य के लिए ठीक ही है�