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"वेरितास दे तेर्रा ओरता एस्त!" - "धरती से सच्चाई का बीज प्रस्फुटित हुआ है!" (स्तोत्र ग्रन्थ 85, 12)।
"रोम तथा समस्त विश्व के अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
आप सबको तथा आपके परिवारों को ख्रीस्तजयन्ती महापर्व मुबारक!
विश्वास को समर्पित वर्ष के दौरान ख्रीस्तजयन्ती महापर्व पर मैं अपनी मंगलकामनाएँ,
स्तोत्र ग्रन्थ के एक भजन से लिये गये शब्दों में अभिव्यक्त करता हूँ: "धरती से सत्य का प्रस्फुटित हुआ है!"
इस भजन के पाठ में, वस्तुतः, हम भविष्य को पाते हैः "धरती से सत्य का बीज प्रस्फुटित हुआ है",
एक उदघोषणा है, एक प्रतिज्ञा है जो अन्य अभिव्यक्तियों के साथ इस तरह गुँजायमान होती हैः
"प्रेम और सच्चाई एक दूसरे से मिल जायेंगे, न्याय और शांति एक दूसरे का आलिंगन करेंगे।
सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगी, न्याय स्वर्ग से दयादृष्टि करता है।
निश्चित्त ही, प्रभु हमें सुख-शान्ति देता है और पृथ्वी अपनी फसल उत्पन्न करती है।
न्याय प्रभु के आगे-आगे चलता है और शान्ति उसका अनुगमन करती है" (स्तोत्र ग्रन्थ भजन 85, 11-14)।
आज यह नबूवती शब्द पूरा हुआ है!
बेथलेहेम में, कुँवारी मरियम से, जन्मे येसु में सचमुच प्रेम और सच्चाई एक दूसरे से रुबरु हुए हैं,
न्याय और शांति ने एक दूसरे का आलिंगन किया है;
धरती से सच्चाई का बीच प्रस्फुटित हुआ है तथा न्याय ने स्वर्ग से नीचे की ओर दृष्टि डाली है।
सन्त अगस्टीन अत्युत्तम संक्षिप्तता के साथ स्पष्ट करते हैः "सच्चाई क्या है? ईश्वर का पुत्र। धरती क्या है? देह।
अपने आप से प्रश्न कीजिए कि ख्रीस्त ने कहाँ से जन्म लिया है, और देखिए कि सच्चाई धरती से प्रस्फुटित हुई है....
सच्चाई कुँवारी मरियम से उत्पन्न हुई है" (स्तोत्र ग्रन्थ भजन 84,13)।
और एक ख्रीस्तजयन्ती पर किये अपने प्रवचन में वे इस तथ्य की पुष्टि करते हैं: "प्रति वर्ष मनाये जानेवाले इस महापर्व पर हम उस दिवस का पर्व मनाते हैं जब भविष्यवाणी पूरी हुई थीः
"सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगी, न्याय स्वर्ग से दयादृष्टि करता है।"
पिता ईश्वर के वक्षस्थल में निहित सत्य धरती द्वारा प्रस्फुटित हुआ है ताकि वह एक माँ के भी वक्षस्थल में रह सके।
वह सत्य जो सम्पूर्ण विश्व को शासित करता है वह धरती से ही प्रस्फुटित हुआ है ताकि किसी महिला के हाथों से उठाया जा सके। .....
वह सच्चाई जिसे समाये रखने के लिये आकाश पर्याप्त नहीं है वह धरती से प्रस्फुटित हुई ताकि एक गऊशाले में समा सके।
किसके लाभ के लिये परमपावन और महान ईश्वर, उदात्त होते हुए भी अत्यन्त विनम्र बने?
निश्चित्त रूप से, स्वतः के लिये कोई लाभ के कारण नहीं, परन्तु, यदि हम विश्वास करें तो, हम लोगों के महान लाभ के कारण" (प्रवचनः 185,1)।
"यदि हम विश्वास करें"। तो विश्वास की शक्ति देखेंगे! ईश्वर ने सबकुछ किया,
उन्होंने वह किया जो असम्भव थाः उन्होंने देहधारण किया।
प्रेम करने की उनकी सर्वव्यापी शक्ति ने उस चीज़ को चरितार्थ कर दिया है जो मानव बुद्धि के परे हैः
अनन्त ने ख़ुद को एक नवजात शिशु बना डाला, उन्होंने मानवजाति में प्रवेश किया।
तथापि, यही ईश्वर मेरे हृदय में तब तक नहीं आ सकता जब तक मैं उसके लिये अपने मन के द्वार को न खोलूँ।
पोर्ता फिदेई! विश्वास का द्वार!
अपनी शक्ति को इस प्रकार उलटते देख हम भयभीत हो सकते हैं।
ईश्वर के प्रति ख़ुद को बन्द कर देने की मनुष्य की यह शक्ति हमें भयभीत कर सकती है।
परन्तु, यही है वह वास्तविकता जो हमारे आतंकित विचारों को दूर करती,
वह आशा जो भय पर विजय प्राप्त करती हैः सच्चाई का बीज प्रस्फुटित हुआ है! ईश्वर का जन्म हुआ है! "पृथ्वी ने अपनी उपज प्रदान की" (स्तोत्र ग्रन्थ 67, 7)।"
"जी हाँ, एक अच्छी भूमि होती है, स्वस्थ भूमि होती है, सब प्रकार के अहंकार से मुक्त, सब प्रकार की बन्दिशों से मुक्त।
विश्व एक ऐसी भूमि है जिसे ईश्वर ने हमारे बीच आने तथा निवास करने के लिये तैयार किया है।
विश्व में उनकी उपस्थिति के लिये एक आवास।
यह धरती अस्तित्व में है, और आज भी, सन् 2012 में, इस धरती से सच्चाई उत्पन्न हुई है!
इसीलिये विश्व में आशा का अस्तित्व है, कठिन घड़ियों एवं परिस्थितियों में भी एक विश्वसनीय आशा का अस्तित्व।
सच्चाई प्रस्फुटित हुई है और अपने साथ प्रेम, न्याय एवं शांति लेकर आई है।"
हाँ, सिरिया की जनता के लिये शांति प्रस्फुटित हो,
जो घोर संघर्ष से पीड़ित और विभाजित है, ऐसा संघर्ष जो निर्दोष लोगों को भी नहीं बख़्श रहा है।
एक बार फिर मैं अपील करता हूँ ताकि खून बहाना बन्द किया जाये,
शरणार्थियों एवं विस्थापितों को ज़रूरी सहायता प्रदान की जाये तथा वार्ताओं के माध्यम से इस संघर्ष का एक राजनैतिक समाधान ढूँढ़ा जाये।"
"शांति उस भूमि पर प्रस्फुटित हो जहाँ मुक्तिदाता येसु मसीह का जन्म हुआ है
तथा प्रभु, इसराएली व फिलीस्तीनी लोगों को इतने अधिक वर्षों से चले आ रहे संघर्षों एवं विभाजनों का अन्त करने
और समझौतों का मार्ग अपनाने हेतु साहस प्रदान करे।
उत्तरी अफ्रीका के देशों में, जो एक नये भविष्य की खोज में गहन परिवर्तन के दौर से गुज़र रहे हैं,
विशेष रूप से, प्रभु येसु के बाल्यकाल का देश तथा उन्हें प्रिय देश -मिस्र में –
सभी नागरिक मिलकर न्याय, स्वतंत्रता के प्रति सम्मान तथा प्रत्येक की मानव मर्यादा पर आधारित समाज का निर्माण करें।"
शांति विशाल एशियाई महाद्वीप में प्रस्फुटित हो।
बालक येसु अपनी सुकोमल दृष्टि से उन देशों में जीवन यापन करनेवालों को निहारें, विशेष रूप से, उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें जो उनमें में विश्वास करते हैं।
इसके अतिरिक्त, शांति के राजा अपनी दृष्टि महान दायित्वों के निर्वाह के लिये चीनी गणतंत्र के नये निदेशकों पर डालें।
मेरी शुभकामना है कि ये लोग, प्रत्येक नागरिक का सम्मान कर, धर्मों के महत्व को प्रकाशित करें
ताकि उस नेक जनता तथा सम्पूर्ण विश्व के हितार्थ, एकात्मता से परिपूर्ण समाज के निर्माण में सक्षम बन सकें।
ख्रीस्त का जन्म, माली में शांति और नाईजीरिया में पुनर्मिलन की स्थापना हेतु अनुकूल स्थितियों को उत्पन्न करे,
जहाँ निर्दोष लोगों के विरुद्ध आतंकवादी आक्रमण जारी हैं, विशेष रूप से, ख्रीस्तीयों के मध्य।
मुक्तिदाता येसु डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के शरणार्थियों को सहायता एवं सान्तवना पहुँचायें
तथा केन्या को शांति का वरदान दे, जहाँ रक्तरंजित हमलों ने नागर जनता एवं आराधनों स्थलों पर प्रहार किया है।
लातीनी अमरीका में ख्रीस्तजन्म का महापर्व मनाने वाले असंख्य विश्वासियों को बालक येसु आशीष दें।
उनके मानवीय एवं ख्रीस्तीय मूल्यों को प्रोत्साहित करें, उन लोगों को समर्थन दें जो अपने परिवारों एवं अपनी धरती से पलायन करने के लिये बाध्य हैं,
विकास तथा अपराधजगत से लड़ने हेतु सरकारों के संकल्प को मज़बूत करें।
प्रिय भाइयो और बहनो! प्रेम व सच्चाई, न्याय व शांति एक दूसरे से रुबरु हुए हैं,
मरियम से बेथलेहेम में उत्पन्न बालक में इन्होंने देहधारम किया है।
वह मानव ईश्वर का पुत्र है, वह इतिहास में प्रकट ईश्वर है।
उनका जन्म सम्पूर्ण मानवजाति के लिये नवजीवन का बीज है।
प्रत्येक धरती एक अच्छी भूमि बन जाये, ऐसी भूमि जो स्वागत करती तथा प्रेम, सत्य, न्याय एवं शांति को प्रस्फुटित करती है।
आप सबको क्रिसमस महापर्व की शुभकामनाएँ!"